उन्होंने बताया कि पेंटिंग का शौक बचपन से ही रहा। दादा रामचन्द्र चौबदार से उन्हें प्रेरणा मिली। कोटा के कैलाश सोनी से बारीकियां सीखी। उन्होंने कोटा-बूंदी चित्रशैली, रामायण, राजस्थान की परम्पराओं व परिवेश, नाथद्वारा व मुगल शैली व राजा महाराजाओं के चित्र बनाए हैं। स्टोन, गोल्ड व सिल्वर रंगो से भी पेंटिंग बनाई है। अपनी धुन के पक्के चौबदार बताते हैं कि वे प्रतिदिन 10 से 12 घंटे पेंटिंग में व्यस्त रहते हैं। उन्हें कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।