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जयपुर

नगर निगम : स्मार्ट सिटी का सपना, लेकिन कोई प्रयास नहीं अपना

विभिन्न करों की वसूली में पिछडऩे से स्मार्ट सिटी के लिए चयनित 20 शहरों
की सूची में नाम शामिल नहीं होने के बावजूद निगम भविष्य में इसके
लिए ठोस प्रयास करता नजर नहीं आ रहा।

जयपुरFeb 06, 2016 / 09:47 am

Abhishek Pareek

विभिन्न करों की वसूली में पिछडऩे से स्मार्ट सिटी के लिए चयनित 20 शहरों की सूची में अपने शहर का नाम शामिल नहीं होने के बावजूद निगम भविष्य में इसके लिए ठोस प्रयास करता नजर नहीं आ रहा। आगामी बजट में उन आय के प्रस्तावों में ही कटौती के प्रयास किए जा रहे हैं, जिनसे निगम को मौजूदा वित्तीय वर्ष में बहुत कम आय हुई।

नगर निगम की वित्त समिति की शुक्रवार को समिति के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश सोनी की अध्यक्षता में निगम कार्यालय में बैठक हुई। इसमें मुख्य लेखाधिकारी एवं समिति पदेन सचिव फूलसिंह मीणा की ओर से वर्ष 2016-17 के लिए रखे गए अनुमानित बजट में मौजूदा बजट से 8 करोड़ 52 लाख रुपए की आय कम होने का अनुमान लगाया गया। आय के प्रस्ताव में कटौती के चलते व्यय प्रस्तावों में भी कटौती की गई। इससे समिति के सदस्यों ने ही एतराज जता दिया। हालांकि बाद में निर्माण मद में व्यय राशि बढ़ाने की मांग के अलावा शेष अनुमानित बजट प्रस्तावों का समिति की ओर से अनुमोदन कर दिया गया।

चालू वित्तीय वर्ष में निगम को 2 अरब 98 करोड़ 50 लाख रुपए की आय अर्जित करना प्रस्तावित था, लेकिन जनवरी माह तक करीब 1 अरब 53 करोड़ रुपए की ही आय हो पाई है। इसके चलते आगामी बजट में मात्र 2 अरब 89 करोड़ रुपए की ही आय का अनुमान लगाया गया। अभी निगम की सभी समितियों से अपने कार्य क्षेत्र में होने वाली आय व व्यय के सुझाव वित्त समिति के पास भेजे जाएंगे, उन्हें देखने के बाद अनुमानित बजट पर पुनर्विचार होगा। इसके बाद इसे निगम बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा।

सीवरेज टैक्स वसूली शून्य
निगम मौजूदा वितीय वर्ष में जनवरी माह तक एक रुपया भी सीवरेज यूजर चार्जेज के रूप में नहीं वसूल पाया। इस मद में मौजूदा वित्तीय वर्ष में 10 लाख की वसूली की जानी थी। आगामी वर्ष में इस मद में 2 लाख की ही आय का अनुमान लगाया गया है।

भवन निर्माण स्वीकृति राशि भी नहीं
तीन करोड़ की जगह जनवरी माह तक 1 करोड़ 43 लाख रुपए ही भवन निर्माण स्वीकृति की राशि के रूप में वसूल पाने से आगामी वित्तीय वर्ष के लिए 2 करोड़ रुपए की आय का ही अनुमान लगाया गया है। विज्ञापन बोर्ड की फीस, विवाह स्थल पंजीयन व वार्षिक शुल्क, न्यास से प्राप्त होने वाली आय आदि में कमी का अनुमान लगाया गया है।

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