सांसद की चेतावनी से केईडीएल में मचा हड़कंप, बिरला बोले- प्राइवेट बिजली कम्पनी को कोटा से भगाकर रहेंगे
विधायक चन्द्रकांता मेघवाल का सवाल
क्या यह सही है कि कोटा में विद्युत व्यवस्था केईडीएल कम्पनी प्र.लि. को ठेके पर दे रखी है। यदि हां, तो किस दर पर और कितने वर्ष के लिए। क्या सरकार उक्त कम्पनी का ठेका निरस्त करने का विचार रखती है। यदि हां, तो कब तक व नहीं तो क्यों, विवरण सदन की मेज पर रखें।
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सरकार का जवाब
कोटा शहर में विद्युत व्यवस्था कोटा इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (केईडीएल) 1 सितम्बर 2016 से 20 वर्ष के कॉन्ट्रेक्ट पर दे रखी हैं। केईडीएल से भुगतान प्राप्त करने के लिए वार्षिक निश्चित दर का अनुबंध किया गया है। इस दर का प्रयोग एक निश्चित सूत्र में करके केईडीएल से प्रतिमाह दी गई बिजली का भुगतान प्राप्त किया जा रहा है। अनुबन्ध के अनुसार 1 सितम्बर 2016 को जब ठेका दिया गया है तब दर 4.267 रुपए प्रति यूनिट थी और अब वर्ष सितम्बर 2018, अगस्त 2019 की वार्षिक निश्चित दर 4.424 रुपए प्रति यूनिट हैं। अनुबन्ध की अवधि के 20वें वर्ष में यह दर 4.707 रुपए प्रति यूनिट होगी। वर्तमान में उक्त कम्पनी का ठेका निरस्त करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
जनता से धोखा किया
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में जनता से झूठे वादे किए थे। अब क्यों नहीं केईडीएल (private power companies, CESC , KEDL L ) को भगाया जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं से जनता जवाब मांग रही है। कम्पनी मनमाने बिल भेजकर उपभोक्ताओं को लूट रही है। कोटा शहर के बिजली उपभोक्ता परेशान है।
चन्द्रकांता मेघवाल, विधायक
सरकार के जवाब की तो जानकारी नहीं है, लेकिन कांग्रेस पार्टी कोटा में आज भी केईडीएल को यहां से भगाने के पक्ष में है। इसके लिए आंदोलन भी कर रहे हैं। कच्ची बस्ती के जिन घरों में स्मार्ट मीटर से पहले दो हजार का बिल आता था अब बीस हजार का आ रहा है। शायद सरकार को कम्पनी की मनमानी की जानकारी नहीं है। केईडीएल के मुद्दे पर वस्तु स्थिति से अवगत कराने के लिए मुख्यमंत्री से समय मांगा है।
राखी गौतम, शहर उपाध्यक्ष कांग्रेस