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कोटा

कोरोना ने मिठास में घोली कड़वाहट, कारोबार चौपट

मावा और मिठाई से चलती है सरहद की आजीविका : यहां से जयपुर, इंदौर तक जाता है मावा और मिठाइयां

कोटाMay 14, 2021 / 04:56 pm

Ranjeet singh solanki

कोरोना ने मिठास में घोली कड़वाहट, कारोबार चौपट

कोरोना ने मिठास में घोली कड़वाहट, कारोबार चौपट

अकलेरा. तहसील क्षेत्र के सरहद सीमा पर अब कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन से मिठाई और मावे का धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है। इसके कारण यहां दुकाने लगाने वाले दुकानदार अब आर्थिक तंगी का सामना कर रहे है। दुकानदारों का कहना है कि अभी तो जैसे तैसे घर चला रहे है। लेकिन आगामी माह से बारिश का समय होने से ओर भी आर्थिक समस्या आने की चिंता सताने लगी है। यूँ तो अक्सर सरहद को बंटवारे के लिए जाना जाता है। लेकिन अकलेरा तहसील मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 52 पर स्थित राजस्थान.मध्य प्रदेश सीमा सरहदी को मिठाई के खुशनुमा रिश्ते के लिए जाना जाता है। यहां की मिठाई शुद्धता के साथ स्वाद के लिए ना केवल कोटा संभाग बल्कि राजधानी जयपुर, अजमेर नागौर सहित मध्य प्रदेश के खिलचीपुर, राजगढ़, इंदौर, भोपाल आदि बड़े शहरों में शुद्धता के साथ स्वाद के लिए सुप्रसिद्ध है। लेकिन वैश्विक महामारी के कारण लगी सरकारी पाबंदियों के कारण मिठाई नही बिक पाने से यहां के दुकानदारों पर आर्थिक तंगी हावी होने लगी है। यहां के दुकानदार संतराम शिवसिंह जगदीश तंवर देवीलाल गुर्जर प्रभुलाल मुरली आदि बताते हैं कि कोरोना के कारण लगी पाबंदियों से पहले रोजाना करीब 2 क्विंटल मिठाई बिक जाया करती थी। यहां से लोग मावे को जयपुर अजमेर अलवर और मध्यप्रदेश के भोपाल इंदौर तक ले जाया करते हैं। वहीं अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र. गुजरात आदि के भी गुजरने वाले लोग इस सीमा पर अपने वाहन रोककर बड़े चाव से मिठाई खाने के बाद पैकिंग करा कर अपने साथ ले जाते थे। इससे अच्छी कमाई होने से परिवार का भरण पोषण हो जाता था। वही विवाह के सीजन में तो बड़ी संख्या में लोग मावे के लिए आते थे। ऐसे में पहले से ही मावे के लिए ऑर्डर दिए जाते थे। इनसे पूरे साल की आमदनी की भरपाई हो जाया करती थी। लेकिन अब यहां के हर दुकानदार को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा हैं। सरकार की गाइड लाइन के अनुसार मिठाई की केवल अब होम डिलीवरी हो सकती है। ऐसे में इन दुकानदारों के घर से अब केवल 3 से 4 किलो ग्राम मिठाई ही बेची जा रही हैं। यहां सरहद पर लगी करीब 9 से 10 दुकानों के दुकानदार इन दुकानों पर ही आश्रित हैं। इनकी आजीविका केवल मिठाई बेचकर ही चलती हैं। ऐसे में मिठाई ना बिक पाने से पशुधन गाय भैंस के लिए खल कपासा सहित चारा पानी की व्यवस्था करना भी चुनौती साबित हो रही है। वही दुकानों पर दूध लेकर आने वाले लोगों पर भी इसका प्रभाव सा दिखाई देता है। मिठाई नहीं बिकने से दुकानदारों ने दूध लेना बंद कर दिया है। इसके चलते दूध बेचने वालों को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा हैं। इन गांवों के लोगों पर भी प्रभाव : सरहद पर मिठाई के लिए क्षेत्र के पीपलदी भड़का भड़की करकरी रोजा बाकड़ मोतीपुरा व बांसखेडी से लोग दूध लेकर आते थे। मिठाई की दुकानें बंद होने से इन गांवों के दूध वालों पर भी आर्थिक प्रभाव पड़ा है।

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