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देशभर में लॉकडाउन लेकिन ये हम क्या कर रहे ?

जब तक जनता का घरों से बाहर निकलना बंद नहीं होगा, तब तक हम कोरोना की माहमारी को जीत नहीं पाएंगे।

कोटाMar 29, 2020 / 05:47 pm

Kanaram Mundiyar

देशभर में लॉकडाउनलेकिन ये हम क्या कर रहे ?

देशभर में लॉकडाउनलेकिन ये हम क्या कर रहे ?

के. आर. मुण्डियार

कोरोना वायरस के संक्रमण (Corona virus) से बचने के लिए देशभर में लॉकडाउन तो कर दिया, लेकिन जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री वितरण के दौरान जुट रही भीड़ से कोटा पर खतरा मंडरा रहा है। पुलिस-प्रशासन की सख्ती के बावजूद लोग घरों में नहीं रुक पा रहे हैं। यह तो गनीमत है कि अभी तक शिक्षानगरी में एक भी पॉजीटिव केस सामने नहीं आया, लेकिन इससे यह नहीं मान लेना चाहिए कि कोटा पर कोई खतरा नहीं है। जिस तरह कोटा के कुछ लोग प्रशासन व पुलिस की लॉकडाउन व्यवस्था बिगाडऩे में लगे हैं, उससे साफ प्रतीत हो रहा है कि सोशल डिस्टेंस के अभाव में कोटा पर संकट आ सकता है।
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बड़ा सवाल है कि यदि कोटा में स्थितियां बिगड़ी तो कौन जिम्मेदार होगा? भीलवाड़ा, झुंझुनूं व जोधपुर के हालात को देखते हुए कोटा की जनता एवं प्रशासन को अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। कोचिंग सिटी में देशभर के हजारों विद्यार्थियों की सुरक्षा हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। हालांकि प्रशासन एवं कोचिंग संस्थान अपनी जवाबदेही निभा रहे हैं। लेकिन दूर-दराज बैठे अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा व स्वास्थ्य को लेकर खासे चिन्तित हैं। यदि कोटा में थोड़ी सी भी लापरवाही रही तो हम देश भर में क्या जवाब देंगे। कुछ भी अप्रिय हुआ तो हमारी कोचिंग सिटी को कितना झटका लगेगा।
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हालात यह है कि लॉकडाउन के बाद कोटा शहर में कुछ संस्थाएं अव्यवस्थित तरीके से जगह-जगह लंगर चलाकर भोजन-नाश्ते की व्यवस्था कर रहे हैं। जरूरतमंदों की मदद करना अच्छी बात है, लेकिन आशंका यह है कि सोशल डिस्टेंट तोडऩे से संक्रमण का संकट आ सकता है। कुछ संस्थाओं के अच्छे प्रयासों की आड़ में कुछ लोग तो बस्तियों में खाद्यान्न संकट बताकर चन्दा भी जुटा रहे हैं। प्रशासन के पास भी कई तरह की शिकायतें आ चुकी हैं। मददगारों से उम्मीद यही है कि यदि उनकी ओर से किसी भी तरह की मदद करनी है तो जिला प्रशासन, पुलिस को साथ लेकर करनी चाहिए। इसके अलावा बड़ी आर्थिक मदद मुख्यमंत्री सहायता कोष में भी दी सकती है। कहीं पर किसी बस्ती में भोजन या खाद्यान्न का संकट है तो प्रशासन के जरिए ही व्यवस्था करवानी चाहिए। ताकि सोशल डिस्टेंस की पालना भी अनिवार्य रूप की जा सके। हालांकि जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी में जुटा है और सतर्कता बरतने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है, लेकिन जब तक जनता का घरों से बाहर निकलना बंद नहीं होगा, तब तक हम कोरोना की माहमारी को जीत नहीं पाएंगे।
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प्रशासन से भी आग्रह है कि किसी के प्रभाव की परवाह किए बिना सख्ती बरतें और सोशल डिस्टेंस तोडऩे वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करें। साथ ही जरूरतमंदों की बस्तियों में भोजन व खाद्यान्न की व्यवस्था टीमों का गठन कर पूरी एहतियात के साथ प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों की अगुवाई में ही करवाई जानी चाहिए।

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