राज्य सरकार की 2013-14 की बजट में चम्बल की दायीं मुख्य नहर पर 60 करोड़ रुपए की लागत से तीन जगहों पर क्रॉस रेगुलेटर के कार्यों की स्वीकृति दी गई थी। इसके दायीं मुख्य नहर के 8.10 किमी पर कन्सुआ से थेगड़ा की ओर जाने वाली मार्ग पर 19.1 करोड़ की लागत से क्रॉस रेगुलेटर गेट बनाए गए हैं। क्रॉस रेगुलेटर का काम पूरा हुए दो साल बीत गए हैं, लेकिन गेट का कोई उपयोग नहीं हुआ है। स्थिति यह है कि दो साल में यह गेटों का पानी का प्रवाह रोकने के लिए इस्तेमाल करना तो दूर की बात है। गेटों को हिलाया-ढुलाया भी नहीं है। दो साल से गेट आधे खुले पड़े है। इसी नहर की आरडी 95.78 किमी पर एक अन्य क्रॉस रेगुलेटर 15.47 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा। इसका कार्यादेश भी जारी कर दिया गया है।
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अनुपयोगी माना
सीएडी के अभियंताओं ने भी दायीं मुख्य नहर पर क्रॉस रेगुलेटर गेट बनाने को अनुयोगी माना है। क्योंकि इससे नहर के जल प्रवाह पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अभियंताओं का तो कहना है कि इस रेगुलेटर गेट के पास से निकलने वाले धोरे के आसपास को 80 फीसदी सिंचित क्षेत्र ही खत्म हो गया है। कॉलोनियां विकसित हो गई है। इसलिए क्रॉस रेगुलेटर गेट का कोई उपयोग नहीं था। ऑडिट में भी इस पर आपत्ति जताई है।
कर दिया निरस्त
क्रॉस रेगुलेटर पर आपत्ति जताने के बाद दायीं मुख्य नहर पर तीसरे रेगुलेटर बनाने के प्रस्ताव को सरकार ने निरस्त कर दिया है। सीएडी के तत्कालीन मुख्य अभियंता ने दायीं मुख्य नहर पर रेगुलेटर गेट बनाने के लिए 121 किमी पर स्थित क्रॉस रेगुलेटर की मरम्मत एवं रिमॉडलिंग का कार्य करने का निर्णय किया था।
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यह थी योजना
क्रॉस रेगुलेटर की कार्य योजना बनाते समय अभियंताओं ने दावा किया कि किशोर सागर की तरह यहां भी नहर में जल प्रवाह बंद होने के बाद पानी भरा रहेगा। इसका लुक किशोर सागर की तरह नजर आएगा। पानी भरा रहने से आसपास के क्षेत्र में भू जल का स्तर भी ऊंचा रहेगा, लेकिन अभी कोई पानी नहीं रुक रहा है।
मुझे जानकारी नहीं
यह प्रोजेक्ट मेरे से पहले के अधिकारियों के समय तैयार किया गया था, इस कारण इसकी पूरी जानकारी मुझे नहीं है।
-एस.के. सामरिया, अधीक्षण अभियंता, दायीं मुख्य नहर
क्रॉस रेगुलेटर के काम की मुझे जानकारी नहीं है। रिकॉर्ड देखने के बाद ही कुछ कह कहा जा सकता है।
-जितेन्द्र लुहाडिय़ा, अधिशासी अभियंता दायीं मुख्य नहर
जांच करवानी चाहिए
नहरों में बिना उपयोग के करोड़ों के काम करवा दिए हैं। घटिया निर्माण चल रहे हैं। सभी की राज्य सरकार को विस्तृत जांच करवानी चाहिए।
-सुनील गालव, सभापति चम्बल परियोजना समिति