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आखिर क्यों ब्रह्माणी माता को श्राप देना चाहती थी गुर्जर कन्या, सांठ भरने की रस्म के पीछे ये है कहानी

गुर्जर समाज द्वारा पूर्वजों को याद करते हुए सांठ भरने की रस्म से जुड़ा है खास वाक्या…

कोटाOct 29, 2019 / 06:20 pm

​Zuber Khan

Deepawali festival 2019

आखिर क्यों ब्रह्माणी माता को श्राप देना चाहती थी गुर्जर कन्या, सांठ भरने की रस्म के पीछे ये है कहानी

कोटा. दीपावली पर गुर्जर समाज के लोग अपने पूर्वजों को याद करते हुए सांठ भरने की रस्म अदा करते हैं। लेकिन, ये रस्म अदा करने के पीछे है खास वजह है। वह क्या है, पढि़ए, पत्रिका डॉट कॉम पर…
समाज के लोगों के अनुसार ब्रह्माजी ने यज्ञ किया था। इसमें उन्होंने ब्रह्माणी माता की जगह गुर्जर कन्या को बिठाकर यज्ञ प्रारम्भ किया। ब्रह्माणी माता को जब इस बात का पता चला तो वह नाराज हो गई और उन्होंने गुर्जर समाज को श्राप दिया कि तुम्हारी वजह से मुझे भूला दिया गया। गुर्जर कन्या को इस श्राप के बारे में पता चला तो वह नाराज हो गई और गुर्जर कन्या भी माता ब्रह्माणी को श्राप देने लगी तो माता बह्माणी ने गुर्जर कन्या को रोका और कहा कि दीपावली के दिन अमावस्या पर एक साथ एकत्रित होकर जलाशय में खड़े होकर भोग लगाकर एक साथ तर्पण करने और उस भोग का पानी में रहने वाली जीव जन्तुओं के ग्रहण करने से मुक्ति मिलेगी। तब से ही सांठ भरने की रस्म अदा की जाती है।
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अदा की रस्म
समाज के लोगों ने रविवार को दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के पहले अपने-अपने क्षेत्र के जलाशयो पर पहुंचे, जहां उन्होंने सांठ भरने की रस्म अदा की। चम्बल किनारे स्थित भीतरिया कुण्ड, रंगबाड़ी कुण्ड, नयागांव, सकतपुरा, छावनी समेत शहर व आसपास के इलाकों में सिथति जलाशयों पर रौनक नजर आई।
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ऐसे किया जाता है तर्पण
राजस्थान गुर्जर महासभा के प्रदेशउपाध्यक्ष मन्नालाल गुर्जर ने बताया कि गुर्जर समुदाय द्वारा दीपावली की अमावस्या पर सांठ भरने की रस्म की जाती है। जिसमे गुर्जर समाज अपने छोटे-बड़े परिवार के सभी सदस्यो के साथ नए कपड़े और अपने घरो में अपने पूर्वजो के लिए बनाया गया भोग लेकर आते है और उस भोजन को एक पात्र में रखकर मिलाया जाता है और उस पात्र से थोड़ा-थोड़ा भोजन लेकर गन्नो और घांस की पूलो की बेल बनाकर आपस में जोड़ते है और एक लाइन में खड़़े होकर एक साथ पानी में विसर्जित करके अपने पूर्वजो का तर्पण करते है। साथ ही अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि. की कामना करते है। इसी के चलते साथभरने की रस्म अदा की गई। सांठ भरने की रस्म अदा करने के बाद उन्होंने पटाखे चलाए व एक दूसरे को दीपावली की शुभकामना दी। शिवपुरा स्थित भीतरिया कुण्ड में गुर्जर समाज के किसन कसाना, सज्जन सिंह भडाना, देवलाल गोचर, राजेश बोड, बजरंगलाल, लेखराज कसाना सहित गुर्जर समाज के लोग उपस्थित थे।

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