जब सरकारी अस्पताल में इलाज नि:शुल्क है तो नि:शुल्क की पर्चियां कटवाने के लिए कतार का दर्द क्यों दिया जा रहा। वार्ड में भर्ती मरीज की पर्ची वार्ड से ही क्यों नहीं कटती। अस्पतालों में ऐसा सिस्टम विकसित क्यों नहीं हो रहा कि मरीज के परिजन को चिकित्सा बीमा योजना का लाभ लेने के लिए बार-बार कतार में नहीं लगना पड़े। हर बार आधार व अन्य दस्तावेज की फोटो प्रतियां नहीं देनी पड़े। सरकारी अस्पतालों के सभी पर्ची काउंटर पर सिंगल विंडो जैसी व्यवस्था विकसित की जा सकती है।
आउटडोर
-रजिस्ट्रेशन पर्ची काउंटर पर कतार
ओपीडी या इमरजेंसी में चिकित्सक को दिखाने के लिए कतार
-चिकित्सक परामर्श के बाद रक्त, एक्सरे आदि जांच के लिए नि:शुल्क जांच के लिए कतार
-नि:शुल्क जांच की पर्ची लेने के बाद सैम्पल देने और एक्सरे करवाने के लिए कतार
-रक्त या मूत्र आदि का सैम्पल लैब में जमा करवाने के लिए कतार
-जांच की रिपोर्ट लेने के लिए कतार
-चिकित्सक परामर्श पर्ची पर लिखी दवा नि:शुल्क लेने के लिए कतार
इनडोर
-दवाई के लिए कतार
-जांच के लिए पर्ची बनवाने के लिए कतार
-लैब में सैम्पल जमा कराने के लिए कतार
-जांच रिपोर्ट लेने के लिए कतार
बढ़ती है परेशानी
घंटों कतार में खड़े रहते-रहते ओपीडी का समय समाप्त हो जाता है, दुबारा लौटना पड़ता है। ब्लड जांच का सैम्पल लैब में देने से पहले नि:शुल्क जांच की पर्ची कटवानी होती है। कई बार सैम्पल जमा करवाने तक समय समाप्त हो जाता है।
कोटा के एमबीएस अस्पताल में ऐसा कोई सूचना बोर्ड नहीं है, जिस पर चिकित्सक कक्ष, जांच कक्ष, दवा काउंटरों की संख्या, नि:शुल्क पर्ची कहां कटेगी इत्यादि जानकारी लिखी हो। अस्पताल के प्रवेश द्वार के पास ही इस तरह को सूचना बोर्ड लगाया जाएं तो मरीजों को काफी राहत मिल सकती है।
सरकारी अस्पतालों का पोर्टल बनाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की जा सकती है। ताकि मरीज ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर निर्धारित समय पर चिकित्सक का परामर्श ले सके। एमबीएस अस्पताल में नया आउटडोर ब्लॉक निर्माणाधीन है, जल्द कतार की समस्या से निजात मिल जाएगी।
-प्रो. विजय सरदाना, नियंत्रक, मेडिकल कॉलेज