सत्रांक के 20 अंकों का निर्धारण ऐसे होता है
. 10 अंक स्कूल स्तर पर होने वाले तीनों परख और अर्द्धवार्षिक के अंकों के आधार पर
. 5 अंक प्रोजेक्ट कार्य के
. 3 अंक छात्र की उपस्थिति के
. 2 अंक छात्र के व्यवहार और अनुशासन के
ऐसे समझें सत्रांक व बोर्ड परीक्षा के अंतर को
कोई विद्यार्थी कक्षा 10 में पढ़ रहा है, उसे एक विषय में सत्रांक 9 अंक ( तीनों परख एवं अर्द्धवार्षिक के कुल प्राप्तांक 91 के 10 प्रतिशत) अर्जित हुए यानी 10 में से 9 पूरे नब्बे प्रतिशत। वहीं दूसरी ओर सैद्धान्तिक परीक्षा में 80 में से 30 अंक यानी 38.75 प्रतिशत। सत्रांक में 90 प्रतिशत और सैद्धान्तिक में 38.75 प्रतिशत और दोनों में अन्तर 50 प्रतिशत से अधिक होने से यह प्रकरण जांच योग्य बनेगा।
आदेश में यह भी
. संस्था प्रधानों को हर विषय की दो प्रतिशत उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
. तीन साल तक अर्द्धवार्षिक और परख (टेस्ट) की कॉपियों को सुरक्षित रखा जाना अनिवार्य होगा।
. बाहरी शिक्षक की मौजूदगी में विषय अध्यापक परख, अर्द्धवार्षिक के अंकों और बोर्ड में भेजे जाने वाले अंकों का मिलान करना होगा।
निजी को फायदा, सरकारी पर शिकंजा
शिक्षकों का कहना है कि यह एक तरफा आदेश है। निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाकर सरकारी स्कूलों को भय दिखाया जा रहा है। निजी स्कूलों पर सख्ती की जरूरत है। सत्रांक पर कैंची चलाने से सरकारी स्कूलों के बोर्ड का परिणाम कम रहेगा।