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3 दशक से यहां है भाजपा का कब्जा, प्रदेश की इस हाई प्रोफाइल सीट पर वसुंधरा राजे ही एकमात्र चेहरा..

दुष्यंत लगाएंगे जीत का चौका या होगा उलटफेर !
 

कोटाMar 22, 2019 / 05:45 pm

Rajesh Tripathi

kota news

3 दशक से यहां है भाजपा का कब्जा, प्रदेश की इस हाई प्रोफाइल सीट पर वसुंधरा राजे ही एकमात्र चेहरा..

देश में आगामी लोकसभा चुनावों का बिगुल बज गया है। राजस्थान में विधानसभा में जीत से उत्साहित कांग्रेस मिशन 25 की रणनीति पर काम कर रही है वहीं भाजपा के सामने 2014 के चुनावों का प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती है। हाड़ौती क्षेत्र यानी कोटा संभाग शुरू से ही जनसंघ और बाद में भाजपा का गढ़ रहा है। संभाग में कुल दो सीटें है लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का गृह क्षेत्र होने की वजह से सबसे हाई प्रोफाइल सीट झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र है। वर्तमान में राजे के सुपुत्र दुष्यंत सिंह यहां से सांसद हैं और पार्टी ने इन्हें दोबारा मौका दिया है।
अब दुष्यंत के सामने जीत का चौका लगाने का लक्ष्य रहेगा। बेशक वसुंधरा राजे के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार हुई हो लेकिन झालावाड़ में उनका जादू बरकरार रहा और जिले की सभी चारों सीटे भी भाजपा ने ही जीती। यहां राजे के दबदबे का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पिछले 3 दशक से भाजपा का कब्जा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या गहलोत-पायलट की जोड़ी झालावाड़-बारां सीट पर राजे के तिलिस्म को तोड़ पाएगी।

मां ने पढ़ाया राजनीति का पाठ
झालावाड़ से अपना चौथा चुनाव लड़ रहे दुष्यंत ने मां वसुंधरा राजे से राजनीति का पाठ सीखा है। वे 5 अगस्त 2007 को लोकसभा में परिवहन, पर्यटन और संस्कृति समिति के सदस्य भी चुने गए थे। दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में उनकी उपस्थिति 74 प्रतिशत रही और इस दौरान इन्होंने 35 डिबेट में हिस्सा लिया 252 प्रश्न पूछे हैं। 11 सितंबर 1973 में मुंबई में जन्मे दुष्यत सिंह ने स्नातक की डिग्री सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से ली। उसके बाद होटल मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर की डिग्री अमरीका से प्राप्त की थी। दुष्यंत सिंह राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे हैं। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया को 2 लाख 81 हजार 546 मतों से हराया था।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
आजादी के बाद यह सीट सिर्फ झालावाड़ थी, लेकिन 2008 के परिसीमन में झालावाड़ जिले की 4 और बारां जिले की 4 विधानसभा सीटों को मिलाकर झालावाड़ा-बारां संसदीय क्षेत्र का गठन किया गया। यहां अब तक हुए कुल 16 लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा बीजेपी ने 8 बार जीत दर्ज की। 1989 से लगातार इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है, वहीं कांग्रेस ने 4 बार, भारतीय जनसंघ ने 2 बार, भारतीय लोकदल ने 1 बार और जनता पार्टी ने 1 बार इस सीट पर कब्जा जमाया।
आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में झालावाड़ से कांग्रेस के नेमीचंद कासलीवाल जीते थें, इसके बाद 1957 में कांग्रेस के ओंकारलाल यहां से सांसद बनें। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के कोटा राजघराने के पूर्व महाराव बृजराज सिंह सांसद चुने गए। वहीं 1967 और 1971 का चुनाव भी बृजराज सिंह ही जीते लेकिन भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार के तौर पर। 1977 की जनता लहर में जब भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया तब बृजराज सिंह एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन वे 1977 और 1980 का चुनाव पहले बीएलडी और बाद में जनता पार्टी के उम्मीदवार चतुर्भुज नागर से हार गए लेकिन 1984 में कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी की और जूझार सिंह यहां से सांसद बनें। इसके बाद 1989 से 1999 तक लगातार 5 बार वसुंधरा राजे यहां से सांसद बनीं तो वहीं राज्य की राजनीति में राजे की एंट्री के बाद 2004 से 2014 तब लगातार 3 बार से वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह यहां से सांसद हैं।
झालावाड़-बारां के अंतर्गत 8 विधानसभाएं आती हैं- झालरापटन , खानपुर, मनोहर थाना, डग, बरां-अटरु, अंता, छाबड़ा और किशनगंज। हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने इन 8 में 5 सीटों पर कब्जा जमाया। बीजेपी ने इस चुनाव में झालावाड़ जिले की चारों सीट- डग, झालरापाटन, खानपुर और मनोहर थाना और बारां जिले की छबड़ा सीट पर कब्जा जमाया। वहीं कांग्रेस के खाते में बारां जिले की अंता, किशनगंज और बारां-अटरू आईं।

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