प्रदेश में पुराने ट्रेंड की बात करें तो विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाली पार्टी को लोकसभा में भी कामयाबी मिलती है। 2013 में 163 सीट जीतने वाली भाजपा ने 2014 के चुनावों में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की थी वहीं 2009 में गहलोत सरकार के समय कांग्रेस ने प्रदेश की 25 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी । वहीं बात अगर 2004 के चुनावों के बात करे तो भले ही इन चुनावों में एनडीए सरकार की हार हुई हो लेकिन 2003 में विधानसभा में जीत का फायदा बीजेपी को लोकसभा में हुआ था और प्रदेश की 21 सीटों पर भाजपा की बंपर जीत हुई थी । लेकिन मोदी फैक्टर और हाल ही में पाकिस्तान पर हुई एयर स्ट्राइक्स का फायदा भाजपा को राजस्थान में भी मिल सकता है। पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी पहले ही प्रदेश में चुनाव प्रचार का आगाज कर चुके है गौरतलब है कि पाक पर हुई एयर स्ट्राइक्स वाले दिन भी पीएम मोदी ने चूरू में जनसभा को संबोधित किया था।
हाड़ौती भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है । इसकी बानगी विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिल चुकी है । राज्य में पार्टी की हार के बावजूद यहां पार्टी का प्रदर्शन बाकी जगह के मुकाबले बेहतर था । हाड़ौती की कुल 17 सीटों में से 10 भाजपा के खाते में गई थी। वहीं कांग्रेस के लिए हाड़ौती की दोनों सीटों पर भाजपा को हराना आसान नहीं होगा। मौजूदा समय मे कोटा बूंदी सीट से प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष ओम बिरला वही झालावाड़ बारां संसदीय सीट से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सुपुत्र दुष्यंत सिंह सांसद है।
विधानसभा चुनावों में जीत से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है लेकिन अगर भाजपा मौजूदा सांसदों पर दाव खेलती है तो इन दोनों सीटों पर मज़बूत और जीताऊ प्रत्याशी खोजना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा । मौजदा हालातों में झालावाड़ में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा मौजूद नहीं है पिछले चुनाव में यहाँ से कैबिनेट मंत्री प्रमोद जैन भाया ने भाग्य आजमाया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था वही पूर्व सीएम का निर्वाचन क्षेत्र होने के कारण भी कांग्रेस के लिए चुनौती कठिन होगी । वही कोटा बूंदी सीट पर भी हालात यही है पार्टी के सभी दिग्गज नेता मंत्री विधायक के पद पर है ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है की कांग्रेस यहां नए चेहरे पर दांव खेल सकती है ।