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कोटा

हवा की दिशा ने बताया बरसात होगी अच्छी

कोटा में आषाढ पूर्णिमा पर शनिवार की शाम गढ़ पैलेज की बुर्ज पर वायु धारणा पूजन किया गया। पूजन कर हवा के वेग से चातुर्मास में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया गया।

कोटाJul 04, 2020 / 11:55 pm

Hemant Sharma

vayu dharana

हवा की दिशा ने बताया बरसात होगी अच्छी

कोटा. आषाढ पूर्णिमा पर शनिवार की शाम गढ़ पैलेज की बुर्ज पर वायु धारणा पूजन किया गया। पूजन कर हवा के वेग से चातुर्मास में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया गया। राव माधोसिंह म्यूजियम ट्रस्ट के तत्वावधान में पं.आशुतोष आचार्य के सान्निध्य में संध्याकाल में वायु धारणा पूजन किया। पूजन व वायु धारणा परीक्षण के दौरान इस वर्ष हवा अपना रूख बार बार बदलती दिखी।
कभी वायवय कोण से तो कभी उत्तर व पूर्व दिशा की ओर से हवा बही। इस मौके पर उपस्थित विद्जनों ने निष्कर्ष निकाला कि इस वर्ष बरसात अच्छी होगी, लेकिन आवयकता पडऩे पर मेघ नहीं बरसेंगे। वायु धारणा परीक्षण के दौरान कुंजबिहारी शास्त्री, विद्याधर शास्त्री,प्रेमशंकर शास्त्री,सांवरा गौतम व अन्य उपस्थित रहे।

इस तरह बही हवा तो निकला निष्कर्ष


पंडित आशुतोष आचार्य ने बताया कि प्रारंभ में मंत्रोच्चारण के बीच यंत्र व ध्वज पूजन किया। वायु धारणा परीक्षण के दौरान प्रारंभ में वायवय कोण से आग्नेय कोण की दिशा में हवा चलती रही, लेकिन फिर अचानक वायु ने अपना वेग व दिशा को बदला और उत्तर से दक्षिण व बाद में पूर्व से पश्चिक की ओर हवा चलने लगी।
वायु की यह दिशाएं बताती हैं कि वर्ष बरसात हच्छी होगी, लेकिन आवश्यकता पडऩे पर नहीं होगी। जलभराव की दृष्ठि से बारिश को बेहतर कहा जा सकता है। जलस्तर को भी बारिश ऊंचा उठाएगी। आग्नेय कोण की ओर हवा का रूख फसलों की दृष्टि से आश्वयकता के अनुसार बरसात का नहीं होना का बहना दिखाता है। कई जगहों पर तेज वर्षा से फसलों के गलने की भी स्थिति पैदा हो सकती है। जलभराव की दृष्टि से उत्तम है।
100 वर्षों से भी प्राचीन परम्परा

गढ़ की प्रचीर पर वायु धारणा पूजन की यह परम्परा रियासत कालीन है। हर वर्ष आषाढ़ी पूर्णिमा पर वायुधारणा पूजन कर वर्षा का अनुमान लगाया जाता है। सावन के माह को बरसात का मुख्य माह माना जाता है,इस कारण इससे पहले आषाढ़ माह की पूर्णिमा पर संध्या काल में वायुधारणा पूजन करते हैं।धान्य परीक्षण भी, परिणाम आज पूर्णिमा के मौके पर धान्य परीक्षण भी किया गया। इसके लिए परम्परा के अनुसार गढ़ पैलेस स्थित बृजनाथजी के मंदिर में निश्चित मात्रा में विभिन्न प्रकार की मिट्टि व अनाज को रखा गया।
इनकी मात्रा को दोबारा तोलकर को पता लगाया जाएगा कि आने वाले सीजन में कौन सी फसल अच्छी होगी कौनसी फसल का उत्पादन कम रहेगा। आचार्य के अनुसार धान्य परीक्षण श्रद्धा का विषय है। इसके अनुसार पूर्णिमा की शाम को तोलकर अनाज की मात्रा रख देते हैं। फिर अगली सुबह इसे दोबारा तोला जाता है। मान्यता है कि इसमेंें तोलने में होने वाले कमी,वृद्धि के अनुसार फसल के उत्पादन में कमी व वृद्धि को माना जाता है।
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