निर्दोष युवक सत्यनारायण बैरवा डर के मारे जेल में स्वयं को शराब तस्कर लटूरलाल ही बताता रहा, लेकिन शाम साढ़े छह बजे जैसे ही जेल से बाहर आया और परिजनों को देखा तो वह बिलखकर फूट पड़ा। उसने कहा कि वह सत्यनारायण है। तीन दिन पहले आठवां मील पर खड़ा था, तभी एक बोलेरो जीप में आबकारी विभाग के दो सिपाही आए, उन्होंने मुझे जीप में बैठाया और सीधे न्यायालय में पेश कर दिया। जहां से एक जनवरी को नैनवां जेल में भेज दिया। इससे पहले सिपाही ने एक हजार रुपए का लालच देकर कहा था कि लटूर लाल बनाकर न्यायालय में पेश करेंगे, इसके बाद वापस छोड़ देंगे। मुझे तो यह भी पता नहीं था कि लटूरलाल बनाकर किस केस में न्यायालय में पेश किया। तीन दिन जेल में रखा तो काफी तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ा।
तीन दिन से तलाश रहे परिजन
युवक के फूफा बड़ानयागांव निवासी कालूलाल बैरवा व उसके रिश्तेदार पीपलवासा निवासी राधेश्याम ने बताया कि तीन दिन तक सत्यनारायण घर नहीं आया। जिससे पूरे परिवार की चिंता बढ़ गई। उसकी तलाश हर तरफ कर रहे थे। इस दौरान पता चला कि आबकारी विभाग ने तीन दिन पूर्व लटूरलाल के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया था। लेकिन आरोपी हाथ नहीं आया, तो सत्यनारायण को एक हजार रुपए का लालच देकर उसे लटूरलाल बनाकर न्यायालय में पेश कर दिया। न्यायालय ने आरोपी को जेल भेज दिया। ऐसे में तालाब गांव जेल जाकर वहां पता किया, लेकिन वहां पर नहीं मिला। ऐसे में नैनवां जेल पहुंचे तो युवक मिल गया।
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क्या कहता है जेल प्रशासन
नैनवां सब जेल के कार्यवाहक प्रभारी मनोज स्वामी ने बताया कि आबकारी थाना नैनवां ने अवैध शराब रखने के मामले में (मुकदमा नम्बर 48 /18 -19 धारा 19/54) आरोपी को गिरफ्तार कर एक जनवरी को जेल भेजा था। यहां आरोपी ने अपना नाम लटूरलाल ही बताया था। तीन दिन से वह अपना नाम लटूरलाल ही बता रहा है। गुरुवार शाम को आबकारी विभाग का ही एक सिपाही महेंद्र सिंह न्यायालय से रिहाई का आदेश लेकर आया था। ऐसे में युवक को शाम साढ़े 6 बजे रिहा किया है।