विद्युत निगम और सरकार की व्यवस्थाओं ने किसानों को खुले आसमान के नीचे रतजगा करने को मजबूर कर दिया। इन दिनों किसानों को रात में छह से सात घंटे बिजली दी जा रही है। उच्च क्षमता की मोटर से भी किसान पिलाई करे तो महज आधा बीघा खेत में ही पिलाई हो सकती है। ऐसे में किसी किसान के पास दस बीघा खेत है तो उसे फसल पिलाई के लिए बीस राते खुले में बितानी पड़ेगी। इसके अलावा जंगली जानवरों एवं जहरीले कीड़ों का डर भी बना रहता है।
बिजली ट्रिपिंग बड़ी दिक्कत किसानों ने बताया कि रात के समय बिजली मिलने में सबसे बड़ी दिक्कत ट्रिपिंग की होती है। ट्रिपिंग नहीं हो तो किसान बिजली आने पर मोटर चालू करके घर जा सकता है। लेकिन ट्रिपिंग होने के बाद मोटर बंद हो जाती है। जिसे चालू करना पड़ता है। ऐसे में किसानों को पूरी रात खेतों में गुजारनी पड़ती है।
खेतों में बनाई टापरियां खेतों में पिलाई के लिए किसानों को पूरी रात खेतों पर बितानी पड़ती है। ऐसे में कुछ देर आराम करने के लिए खेतों में टापरिया बना रखी है। जहां किसान रजाई ओढ़े पिलाई की निगरानी करते है। बीच-बीच में उठकर खेतों में जाकर पानी में कभी खाद छिड़कते हैं तो कभी क्यारियों में पानी का वेग बनाने के लिए फावड़ों से सही करने में जुटे रहते हैं।