scriptचम्बल की ‘लहरों’ में उजड़ गई मीरां बस्ती,  गुब्बारे, फूल बेचकर चलाते है अपना परिवार,  एक झटके में बाढ़ में छिन गए आशियान | flood affected life of poor people in kota | Patrika News
कोटा

चम्बल की ‘लहरों’ में उजड़ गई मीरां बस्ती,  गुब्बारे, फूल बेचकर चलाते है अपना परिवार,  एक झटके में बाढ़ में छिन गए आशियान

बावरी समाज के डेढ़ सौ परिवारों की बस्ती के हाल
 

कोटाSep 21, 2019 / 07:19 pm

Rajesh Tripathi

चम्बल की 'लहरों' में उजड़ गई मीरां बस्ती,  गुब्बारे, फूल बेचकर चलाते है अपना परिवार,  एक झटके में बाढ़ में छिन गए आशियान

चम्बल की ‘लहरों’ में उजड़ गई मीरां बस्ती,  गुब्बारे, फूल बेचकर चलाते है अपना परिवार,  एक झटके में बाढ़ में छिन गए आशियान

कोटा. चम्बल का वरदान पाकर शिक्षा नगरी फल-फूल रही है, लेकिन मीरा बस्ती की कहानी ऐसी है कि चम्बल की वजह से ही बस्ती को तबाह हो गई। यहां सिर्फ दर्द, पीड़ा व चिंता की लकीरें लोगों के चेहरों पर साफ दिखाई दे रही है। कुन्हाड़ी क्षेत्र में बापू नगर स्थित मीरां बस्ती में बावरी समाज के डेढ़ सौ परिवार रहते हैं। वे गुब्बारे, फूल व कबाड़ बेचकर अपनी जीविका चलाते हैं। पिछले दिनों आई बाढ़ से एक झटके में इनके आशियानों को उजाड़ कर चली गई। बस्ती के सभी घर व झोपडिय़ां उजड़ गई। मुखिया प्रेमकुमार ने बताया कि पिछले दिनों न्यास ने हमें जमीन आवंटित की थी।
बाढ़ में 39 करोड़ से ज्यादा की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान, हाड़ौती
में 385 गांव और बस्तियां हुई थी जलमग्न,

कर्जा लेकर ऊपर की तरफ कुछ लोगों ने पक्के मकान बनाए थे। नीचे की लोग झोपडिय़ां बनाकर रहते थे। चम्बल की बाढ़ ने पक्के मकान व झोपडिय़ां तबाह कर दी। यहां ज्यादातर परिवार फूल, गुब्बारे व कबाड़ बेचकर अपना परिवार चला रहे थे, लेकिन अब तो रहने और खाने के भी लाले पड़ गए। स्थानीय निवासी बुद्धराज ने बताया कि पक्के मकान धराशायी हो गए। कई की दीवारें टूट गई। घर के सभी सामान बह गए। फटे कपड़े पहनकर तीन दिन से काम चला रहे है। नरेश कुमार ने बताया कि खाने के लिए भी जुगाड़ करना पड़ रहा है। राहत सामग्री बस्ती तक नहीं पहुंच रही है। इस कारण भूखों मरने की नौबत आ रही है।

Home / Kota / चम्बल की ‘लहरों’ में उजड़ गई मीरां बस्ती,  गुब्बारे, फूल बेचकर चलाते है अपना परिवार,  एक झटके में बाढ़ में छिन गए आशियान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो