में 385 गांव और बस्तियां हुई थी जलमग्न, कर्जा लेकर ऊपर की तरफ कुछ लोगों ने पक्के मकान बनाए थे। नीचे की लोग झोपडिय़ां बनाकर रहते थे। चम्बल की बाढ़ ने पक्के मकान व झोपडिय़ां तबाह कर दी। यहां ज्यादातर परिवार फूल, गुब्बारे व कबाड़ बेचकर अपना परिवार चला रहे थे, लेकिन अब तो रहने और खाने के भी लाले पड़ गए। स्थानीय निवासी बुद्धराज ने बताया कि पक्के मकान धराशायी हो गए। कई की दीवारें टूट गई। घर के सभी सामान बह गए। फटे कपड़े पहनकर तीन दिन से काम चला रहे है। नरेश कुमार ने बताया कि खाने के लिए भी जुगाड़ करना पड़ रहा है। राहत सामग्री बस्ती तक नहीं पहुंच रही है। इस कारण भूखों मरने की नौबत आ रही है।