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कोटा

आंखों में कटी रात, बेघर हो गए लोग, किसी के सामान बहे तो किसी के मकान ढहे

flood in kota चम्बल नदी के रौद्र रूप धारण करने से कोटा में पानी ने मचाई तबाही

कोटाSep 14, 2019 / 11:29 pm

Suraksha Rajora

आंखों में कटी रात, बेघर हो गए लोग,  किसी के सामान बहे तो किसी के मकान ढहे

आंखों में कटी रात, बेघर हो गए लोग, किसी के सामान बहे तो किसी के मकान ढहे

कोटा. चम्बल नदी के रौद्र रूप धारण करने से कोटा में पानी ने तबाही मचा दी है। निचले इलाकों की बस्तियां जलमग्न हो गई। कई लोगों के मकानों के सामान बह गए। किसी के मकान ढह गए। कई लोग बेघर तक हो गए। भूखे तक मरने की नौबत आ गई। लोगों को शाम तक खाना तक नसीब नहीं हुआ।
मकान ढहने से आंखों में रात कटी। कोटा बैराज के 13 साल बाद सभी 19 गेट खोले गए। इसके चलते कोटा बैराज के समानांतर निचली बस्तियां जलमग्न हो गई। उनकी मदद के लिए प्रशासन का कोई नुमांइदा नहीं पहुंचा। कुछ बस्तियों में आसपास के लोगों ने बेघर लोगों को आसरा दिया और खाना खिलाया।
कुन्हाड़ी क्षेत्र की बालिता रोड स्थित बापू बस्ती में करीब 250 मकान डूबे हैं। लोगों को कुन्हाड़ी सामुदायिक भवन में आसरा दिया हुआ है। हनुमानगढ़ी में 100 मकान डूबे हुए है। स्थानीय निवासी राजेश दाधीच ने बताया कि हनुमानगढ़ी में तीन गलियों के पूरे मकान डूबे हुए है। कई मकान ढह भी गए है। कई लोग बेघर हो गए। नयापुरा स्थित हरिजन बस्ती में करीब 100 मकान पूरी तरह से डूबे हुए हैं, जबकि 150 मकान आधे डूबे हैं। क्रांति चौक व नवल पार्क तक कमर तक पानी है। सामुदायिक भवन भी डूबा हुआ है।
इनकी कहानी, इनकी जुबानी

– बीमारी ने पहली घेर रखा है। अब आपदा में मकान भी ढह गए। कूलर, फ्रीज व अन्य सामान भी बह गए, जबकि पांच साल पहले मकान बनाया था।
– गीता बाई, हनुमानगढ़ी बस्ती

– रात तक रहे भूखे

पानी से कल मकान का सारा सामान बह गया। सामुदायिक केन्द्र कुन्हाड़ी में ठहराया गया, लेकिन शाम तक खाना नसीब नहीं हुआ। भूखे-प्यासे रहे। रात को कुछ लोगों ने उन्हें भोजन करवाया। आज भी अन्नपूर्णा रसोई की गाड़ी आने पर भोजन मिला।
– शिवानी

– हनुमानगढ़ी में पानी से करीब बीस मकान ढह गए। सारा सामान बह गया। उसके बाद बेघर हो गए। आंखों में रात कटी। मदद के लिए कोई नहीं पहुंचा।

– कमल कोली
– पानी से उनका मकान ढह गया। फ्रीज, कूलर व अन्य घरेलु सामान बह गए। दस किलो आटा बचाकर लाए थे। उससे काम चलाया। बापू कॉलोनी में ससुराल है, वहां ठहरकर काम चला रहे है।
– महावीर, हरिजन बस्ती, नयापुरा

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