रोगी के शरीर के विभिन्न स्त्रावों यथा जुकाम, थूक, बलगम, सीरम व मल में वायरस कणों की मात्रा से है। विभिन्न स्त्रावों में पीक वायरस लोडअलग-अलग समय पर पाया गया।
नाक गला में- लक्षण प्रकट होने के समय से 3-5 दिन तक। उसके बाद यह निरंतर घटता जाता है।
खांसी बलगम में- 7वें से 10वें दिन तक के बीच
मल में- 7वें दिन
यधपी जीवित वायरस सातवें दिन तक ही पाया गया। आठवें दिन के बाद जीवित वायरस आइसोलेट करना संभव नहीं हुआ।
यह रोग की गंभीरता पर निर्भर करती है। अधिक गंभीर रोगी अपेक्षाकृत लम्बे समय तक संक्रामक होते है। विभिन्न स्त्रावों पर
नाक से छींकना, जुकाम द्वारा – 17 दिन तक
फेफड़ों से-बलगम, खांसी द्वारा- 14 दिन तक
रक्त (सीरम) से – 16 दिन तक
मल – 17 दिन तक
वृद्ध रोगी युवाओं की अपेक्षा लम्बे समय तक संक्रामक पाए गए।- पुरुष अधिक अवधि तक संक्रामक पाए गए। रोचक तथ्य
एसिम्पटोमेटिक रोगी और लक्षण वाले रोगी में पीक वायरल लोड समान पाया गया। हालांकि एसिम्पटोमेटिक व्यक्ति की संक्रामकता की अवधि कम पाई गई।
लक्षण प्रकट होने से पूर्व से लेकर प्रथम 5 दिन तक आइसोलेशन का उपयुक्त समय लक्षण प्रकट होते ही आइसोलेट हो जाना चाहिए और प्रथम 7 दिन इसकी कड़ाई से पालना होनी चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से गाइड लाइन 14 दिन को आइसोलेशन की सलाह देती है। इससे परिवारों में भी संक्रमण नहीं फैलेगा।