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कोटा

जंगलों में दुर्लभ जीव हो गए ‘वन कर्मचारी ‘ ….जानिए क्या है मामला

kota news एक वनकर्मी पर इतना बोझ की बोझ से झुक गए कंधे…

कोटाJun 28, 2019 / 03:52 pm

Suraksha Rajora

Forest workers became rare creatures in the jungles Forest recruitment

जंगलों में दुर्लभ जीव हो गए ‘वन कर्मचारी ‘ ….जानिए क्या है मामला


कोटा. वन क्षेत्र में अवैध खनन,(Illegal mining) । विभाग की भूमि अतिक्रमण और मुकुदंरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चार-चार बाघ ( Tiger) लेकिन वनविभाग पॉवरलैस यानी विभाग के पास न तो फील्ड में दौडऩे वाले वनरक्षक हैं और न ही सहायक वनरक्षक। यहां तक की सहायक वनपाल एवं वनपाल भी नहीं। कुछ तबादला करवाकर अपने गांव चले गए तो कुछ ने दूसरी नौकरी ज्वाइन कर ली।
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जानकारी के अनुसार वन विभाग में वर्ष २०१६ में वनरक्षकांें (Forest worker) ,की भर्ती हुई थी, लेकिन इनमें से विभाग की तीनों शाखाओं मंे कहीं ३० तो कहीं ४० फीसदी वन रक्षक जिले के वनों को अपने हाल पर छोड़ गए। यहां तक कि विभाग के पास सहायक व उपवन संरक्षकों का भी टोटा है। इस कमी के चलते अधिकारी अतिरिक्त कार्यभार के बोझ तले दबे हुए हैं। इसके बावजूद न तो वन विभाग को चिंता है और न ही प्रदेश की सरकार चिंतित।
हालात टाइगर रिजर्व के
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व (Mukunda Hills Tiger Reserve) के हालात ये हैं कि विभाग में वन रक्षकों के १११ पद हैं। इनमें से ३३ पर रिक्त चल रहे हैं, जबकि यहां वर्तमान में बाघों के दो जोड़े हैं। इनकी मॉनिटरिंग Monitoring में वनरक्षकों का अहम रोल है। वनपाल की ३, सहायक वनपाल का एक व सहायक वन संरक्षक का भी एक पद रिक्त है। टाइगर रिजर्व में वर्ष २०१६ में भर्ती हुए वन रक्षकों मंें से ४० फीसदी का तबादला हो गया, वहीं कुछ अन्य सेवा में चले गए।

वन्यजीव विभाग का हाल भी बेहाल

(Wildlife department) विभाग में सहायक वन संरक्षकों के छह पद हैं, लेकिन यहां सिर्फ एक सहायक वन संरक्षक है। प्रथम श्रेणी के क्षेत्रीय वन अधिकारी व क्षेत्रीय वन अधिकारी द्वितीय एक भी नहीं। विभाग में इस स्तर के ७ पद है। वनपालों की आवश्यकता तीन है। सहायक वन पालों के दो पद रिक्त चल रहे हैं। खास मुश्किल वनरक्षकों की है। विभाग मंे वन रक्षकों के कुल ८३ पद हैं, इनमें से ३५ रिक्त पड़े हैं।

यहां तो अधिकारी भी नहीं

मंडल वन में तो उप वन संरक्षक भी नहीं है। गत माह विभाग के उपवनसंरक्षक जोधराज सिंह हाड़ा सेवानिवृत हो गए। इसके बाद कोई अधिकारी नहीं आया। इसके चलते वन्यजीव विभाग के उपवन संरक्षक को ही मंडल वन के अधिकारी का कार्य देखना पड़ रहा है।

अन्य पदों का भी टोटा
मंडल में प्रथम श्रेणी के रेंजरों के ६ पद हैं। इनमें से एकमात्र क्षेत्रीय वन अधिकारी है। सैकेंड ग्रेड के क्षेत्रीय वन अधिकारियों के ८ में से ६ पद रिक्त चल रहे हैं। वनपालों के १८ पदों में से ३ खाली है। विभाग के पास सहायक वनपालों के ५४ पद हैं। इनमें से १५ पद खाली पड़े हैं। वनरक्षकों की भी स्थिति नाजुक हैं। स्वीकृत १०८ पदों में से ६९ रिक्त चल रहे हैं।
विभाग में सहायक वन संरक्षक
मंडल वन में सहायक वन संरक्षकों के ४ पद हैं, इनमें से एकमात्र पद पर तरुण कुमार मेहर हैं। इनके पास खुद की जिम्मेदारी के साथ उपवन संरक्षक प्रशासन, उपवन संरक्षक मूल्यांकन, वन बंदोबस्त अधिकारी, सहायक वन संरक्षक कोटा, सुल्तानपुर, उपवन संरक्षक के तकनीक सहायक व एसीएफ गश्ती दल का कार्यभार है।
वन्यजीव विभाग में सहायक वन संरक्षकों के ६ पद स्वीकृत हैं। इनमें से महज एक पद पर अनुराग भटनागर तैनात हैं। शेष की जिम्मेदारी भटनागर पर ही है। सूत्रों के मुताबिक भटनागर पर रामगढ़, शेरगढ़ व भैंसरोडग़ढ़, बायोलॉजिकल पार्क, उपवन संरक्षक के तकनीकी सहायक व सहायक प्रशासनिक अधिकारी की जिम्मेदारी है। इस स्थिति में इन अधिकारियों को कार्य मैनेज करना भी मुश्किल हो रहा है।

वनरक्षकों का टोटा इसलिए
सूत्रांें के मुताबिक वर्ष २०१६ में भर्ती हुई थी। इनमें सामान्य पढ़ाई के साथ इंजीनियर, शिक्षक, एमएससी, बीएससी अभ्यर्थियों ने भी परीक्षा दी तथा नियुक्ति पाई। इसके बाद अन्य विभागों में चयन होते ही वे वन विभाग की नौकरी छोड़कर चले गए। इसके अलावा अन्य जिलों से आए कई वनरक्षकों ने अवसर देखकर अपने गावों के आसपास तबादले करवा लिए।
इस तरह से जगह खाली होती गई। हाल ही में वन्यजीव विभाग से ६ वनरक्षकों के तबादले हुए हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक भर्ती में पदों की संख्या को देखते हुए अन्य जिलों के आवेदक आवेदन कर देते हैं, लेकिन अवसर मिलते ही वे अपने क्षेत्र में तबादला करवा लेते हैं।

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