उद्यान विभाग ने बूंद-बूंद सिंचाई पद्दति को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 90 फीसदी तक अनुदान दिया। अनुदान पाकर किसानों ने खेतों में ड्रिप सिस्टम लगवाकर सिंचाई करना शुरू कर दिया। लेकिन, अब किसानों को इस पद्दति से मोहभंग होने लगा है। किसान अब सस्ती फव्वारा सिंचाई पद्दति को अपना रहे हैं।
उद्यान विभाग की ओर से भले ही फव्वारा सिंचाई पद्दति के लिए इस साल अनुदान के लक्ष्य आवंटित कर दिए गए हैं, लेकिन किसानों का इस पद्दति के तहत अनुदान प्राप्त करने का उत्साह ऐसा देखा गया कि लक्ष्य से तीन गुना अधिक हैक्टेयर तक में किसानों ने आवेदन कर दिए। ऐसे में अब विभाग ने मुख्यालय से कोटा जिले के लिए आवंटित लक्ष्य बढ़ाने का पत्र भेजा है।
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भारी पड़ा रखरखाव
इस मामले ने विभाग ने किसानों से बात की तो पता चला कि फव्वारा सिस्टम की अपेक्षा ड्रिप सिस्टम के रखरखाव में ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। हकाई, जुताई के लिए भी ड्रिप पाइप को बार-बार हटाना, फैलाना पड़ता है। वहीं खुले आसमान में ड्रिप पाइप 4-5 साल में टूटने लगते हैं। फव्वारा सिस्टम में किसानों को सिंगल पाइप में नोजल ही लगाना होता है। फव्वारा हटाने के बाद किसान पाइप को अन्य काम में भी ले सकता है।
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ड्रिप के लक्ष्य अधूरे हैं
कोटा उद्यान विभाग उपनिदेशक राशिद खान का कहना है कि पिछले वर्षों की अपेक्षा इस साल किसानों का ड्रिप की बजाय फव्वारा सिंचाई में रुझान बढ़ा है। ड्रिप के लक्ष्य अधूरे हैं। फव्वारा के लक्ष्य से तीन गुना अधिक आवेदन आ चुके हैं। ऐसे में विभाग को लक्ष्य बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है।