एक दशक पहले गांव निगम सीमा में आया, अब छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी नगर निगम के चक्कर काटने पड़ते हैं। पार्षदों के यहां 10 बार शिकायत करते हैं, नतीजा कुछ नहीं निकलता। गांव के बीच से गुजर रहे नाले पर चारदीवारी व ढकान नहीं होने के कारण मगरमच्छ, सांप, केकड़े, बिच्छू आदि जहरीले जीव सड़कों पर घूमते रहते हैं। कई बार तो मगरमच्छ स्कूल परिसर तक आ जाते हैं। जिससे यहां मौजूद बच्चे सहम जाते हैं और भागते दौड़ते अपने अपने क्लासरूम में घुस जाते हैं। लेकिन निगम व सरकार मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है। वहीं स्कूल ग्राउंड में बरसात के दिनों में पानी भरा रहता है। ऐसे में छोटे बच्चों को मुख्य सड़क से स्कूल पहुंचने में परेशानी उठानी पड़ती है।
नालियों की सफाई त्रैमासिक भले स्वच्छ भारत का डंका बजाते हुए करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हों, लेकिन करीब 3000 आबादी वाले इस गांव में ऐसा कोई माहौल नहीं है। अंदर की कई गलियां कीचड़ से अटी हुई हैं। ऐसे में दुपहिया वाहन चालकों को आवागमन में परेशानी उठानी पड़ती है। बारां रोड़ से सटी गलियों में सीसी रोड तो बना हुआ है, लेकिन पक्की नालियां नहीं। कच्ची नालियों में कचरा, गंदगी भरी रहती है। नालियों, सड़कों की सफाई भी तीन-तीन महीनों में होती है।
– परमानंद वर्मा, ग्रामीण
उर्मिला वर्मा, ग्रामीण महिला