सड़क पर चलना महंगा
सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में बताया गया कि वर्ष 2014-15 एक कार से ही 93 पैसे प्रति किलोमीटर टोल वसूला जा रहा था। यह राशि सड़क की हालत की तुलना में काफी अधिक है। सड़क पर चलने की इतनी अधिक कीमत वसूलने के बाद भी हाइवे पर निरापद सफर नहीं मिल पाता है। आवारा मवेशी टहलते हुए मिल जाते हैं। कुछ स्थानों पर सड़क पार करने के लिए अवैध तौर पर कट भी लगा रखे हैं।
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दो टोल के बीच 60 किमी की दूरी जरूरी
एनएचएआई की ओर से सूचना के अधिकार के तहत कोटा के डॉ. सुधीर गुप्ता को बताया गया कि परियोजना कार्यान्वयन इकाई कोटा के अधीन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परिपत्र संख्या एनएचएआई 13013(3)(5-6) सीएमडी-सीओ (पॉलिसी ऑन टोल) दिनांक 29 सितम्बर 2009 के अनुसरण में प्रत्येक टोल नाके के मध्य 60 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए। यही नियम इस टोल नाके की वैधता पर सवाल उठा रहा है। जानकार सूत्रों के अनुसार, हैंगिंग ब्रिज पर बनाए गए इस टोल से पहले और बाद के दोनों ही टोल नाकों से साठ किलोमीटर से काफी कम दूरी है।
हैंगिंग ब्रिज से पहले चित्तौडगढ़़ की ओर धनेश्वर में टोल बना हुआ है। गूगल मैप के अनुसार धनेश्वर से हैंगिंग ब्रिज की दूरी 25 किलोमीटर है। वहीं हैंगिंग ब्रिज से बारां की ओर अगला टोल नाका सीमलिया कस्बे में हैं। इन दोनों ही टोल नाकों के बीच की दूरी 42 किलोमीटर 200 मीटर है। ऐसे में एनएचएआई के अनुसार ही यह टोल नाका वैध नहीं हैं। इसके बाद भी एनएचएआई के स्थानीय अधिकारियों ने विभाग के नियमों के विरुद्ध जाकर टोल की वसूली शुरू करवा दी।
बिरला ने गडकरी को लिखा पत्र
सांसद ओम बिरला ने केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिख हैंगिंग ब्रिज पर टोल टैक्स पर आपत्ति जताई। साथ ही कोटा के पंजीकृत हल्के गैर वाणिज्यिक वाहनों को टोल मुक्त रखने का आग्रह किया। उन्होंने लिखा कि हैंगिग ब्रिज कोटा शहर को दुर्घटनामुक्त बनाने एवं सुगम यातायात के लिए महत्वपूर्ण है। टोल टैक्स से शहरवासियों को परेशानी उठानी पड़ी। धनेश्वर व सीमल्या टोल नाके पर टैक्स लिया जा रहा है। इसके बाद ब्रिज पर वसूली गलत है।
रात में भी लगा जाम
हैंगिंग ब्रिज पर टोल वसूली के चक्कर सोमवार रात भी घंटों जाम लगा रहा। यहां से गुजरने वाले चार पहिया वाहन भी फंसे रहे। दादाबाड़ी रहने वाले मुकेश विजय ने बताया कि उन्हें अचानक बाहर जाना था, लेकिन एक घंटे हैंगिंग ब्रिज पर ही फंसे रहे। उन्होंने कहा, अचानक टोल वसूली से शहर की जनता परेशान हो रही है।
एनएचएआई प्रोजेक्ट डायरेक्टर अनुपम गुप्ता ने बताया कि अगर कहीं कोई ब्रिज या बाइपास बनता है तो स्पेशल केस के तौर पर हम टोल लगा सकते हैं। परिपत्र के आधार पर तो नए संस्थापना पर कहीं टोल वसूली ही नहीं हो सकेगी।
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डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा, हैंगिंग ब्रिज रातों रात नहीं बना। यह पहले से बन रहा था। ऐसे में एनएचएआई को अपने टोल नाके इस तरह से व्यवस्थित करने चाहिए थे कि प्रत्येक टोल के बीच साठ किलोमीटर की दूरी हो। नए निर्माण के नाम पर अपने ही नियम तोडऩा कहां तक उचित है। इससे मनमानी को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में जब टोल की वैधता ही सवालों के घेरे में है तो वसूली भी अवैध है।