समय में हो बदलाव : बढ़ती गर्मी के साथ ही मनरेगा के समय में परिवर्तन की मांग श्रमिक करने लगे हैं। श्रमिकों का कहना हैं कि सरकार हर साल अप्रेल माह की शुरूआत में मनरेगा के समय में बदलाव करती है, लेकिन इस बार अभी तक समय नहीं बदला। श्रमिक कार्य स्थलों पर सुविधाओं की कमी के बीच दिनभर खुले आसमान तले मजदूरी करने को मजबूर हैं। सिर पर तपती धूप और पैरों में तपती धरा पर हाड़तौड़ मजदूरी कर रहे ऐसे सैकड़ों श्रमिक काम के दौरान कभी पेड़ों की छांव तलाशते हैं तो कभी बार बार सूखते गले को तर करने के लिए गर्म पानी पीकर अपना गुजारा कर रहे हैं।
कई जगह तो टैंट भी नहीं : मनरेगा की शुरूआत के बाद वर्ष 2008-09 में सरकार ने पंचायतों में कार्य स्थलों पर छाया की सुविधा के लिए टैंट वितरित किए। दो तीन सालों तक तो कार्य स्थलों पर टैंट लगे, लेकिन अब यह अधिकांश जगहों पर नहीं लगते। कई पंचायतों में तो टैंट फटकर नष्ठ हो चुके है। मजबूरन कार्य स्थलों पर श्रमिकों को पेड़ों की छांव तले आराम करने पर विवश होना पड़ता है। टेंटों के अभाव में श्रमिकों को काफी परेशानी हो रही है।