कोरोना पर भारी पड़ी कोटा कोचिंग: देशभर में 3.7 लाख बच्चों तक पहुंची डिजिटल क्लास, JEE Advanced or AIIMS की हो रही पढ़ाई
कोटा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के आचार्य डॉ. मनोज सालूजा ने कोरोना वायरस को लेकर पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि कोरोना के मामले पहले विदेशों से भारत में आए पर्यटकों व अप्रवासी भारतीय में ही पॉजीटिव पाए गए, लेकिन उनके सम्पर्क में आने वाले स्थानीय भारतीय भी पॉजीटिव आने लगे हैं। इस संक्रमण के विस्तार के चक्र को तोडऩा होगा, अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सबसे ज्यादा जागरूकता जरूरी है। यह घर पर रहकर ही संभव है। इसके लिए अपने-आपको आइसोलेट कर लें।जानें, ये हैं संक्रामक रोग की चार अवस्थाएं
पहला: किसी विशेष स्थान से आने वाले लोगों में रोग के लक्षण पाए जाना
दूसरा: विदेश से आने वाले पॉजीटिव व्यक्तियों से संक्रमण स्थानीय लोगों में पॉजीटिव आना।
तीसरा: स्थानीय लोगों में एक से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण का पहुंचना।
चौथा: समुदाय में वृहद स्तर पर रोग का फैलना।
बुखार, गले में खराबी, खांसी व बदन दर्द, सांस में तकलीफ ये रखे ध्यान
कोरोना वायरस से वरिष्ठ नागरिक जो हृदयरोग, श्वांस रोग या मधुमेह से पीडि़त है। उनमें इस रोग की घातकता अधिक पाई गई। ऐसे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। दस साल तक के बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण इनको भी चपेट से बचाना जरूरी है।
भगवान के दरबार में भी कोरोना का खौफ, मास्क पहन पूजा कर रहे पुजारी, भक्तों को दी ये सलाह
यह रखें सावधानी
-घर से बाहर नहीं निकले
-खांसते व छींक होने पर मास्क का प्रयोग करें।
-हाथों को बार-बार धोएं
-चेहरे के किसी भाग से छूने से बचे
-सार्वजनिक स्थानों पर दरवाजे के हैंडल, रैलिंग अनावश्यक छूने से बचे
– नियमित स्नान व सफाई रखें।
-संतुलित आहार लें।
-यदि किसी तरह का लक्षण मिले तो तुरंत चिकित्सक परामर्श लें।
यह वायरस वर्ष 2003 में सार्स के रूप में चाइना के वुहान से व 2012 में सऊदी में मार्स के रूप में आ चुका है। उस समय मार्स कोवि का प्रभाव 30 प्रतिशत था। सोर्स का प्रभाव 10 प्रतिशत और इस बार आए सोर्स कोवि-2 का असर मात्र 3 प्रतिशत है।