नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के बाद टै्रफिक पुलिसकर्मी वाहन मालिक को बताए बिना उन्हें उठाकर कंट्रोल रूम ले जाते हैं। इसके बाद पहले तो गाड़ी की तलाश शुरू होती है और फिर चोरी का अंदेशा होने पर जब पुलिस को उसकी जानकारी दी जाती है, तब जाकर पता चलता है कि उनकी गाड़ी तो टो कर ली गई। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। टै्रफिक पुलिस गाड़ी टो करने से पहले वाहन ४.० सॉफ्टवेयर के जरिए पहले गाड़ी मालिक को इसकी सूचना देगी। इसे सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (मोर्थ) की ओर से विकसित किए गए एम परिवहन एप के जरिए पंजीकृत वाहन के मालिक तक पहुंचाया जाएगा।
परिवहन विभाग और टै्रफिक पुलिस को सरकारें तेजी से डिजिटलाइज कर रही हैं, लेकिन अधिकांश वाहनों के पंजीयन प्रमाण पत्रों में वाहन मालिकों के फोन नम्बर, मेल आईडी और पते अपडेट नहीं होने के कारण ई-चालान समय से उन तक नहीं पहुंच पा रहे। ऐसे में एक-एक जानकारी अपडेट कराने के लिए अब आरटीओ दफ्तर के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे। वाहन मालिकों को सिर्फ एम परिवहन एप लॉगइन कर अपना प्रोफाइल अपडेट कर अपनी गाड़ी की आरसी और ड्राइविंग लाइसेंस को लिंक करना होगा। इसके बाद सड़क पर फर्राटा भरते समय सड़कों पर लगे कैमरों के जरिए कटने वाले चालान तक की तुरंत सूचना इस एप के जरिए गाड़ी मालिक के मोबाइल पर फ्लैश हो जाएगी।
एम परिवहन एप के जरिए ई-चालान, गाड़ी टो होने के बाद लगी पेनल्टी और वाहनों के सभी तरह के टैक्स भी ऑनलाइन जमा किए जा सकेंगे। इतना ही नहीं डुप्लीकेट आरसी, रिनुअल, एनओसी, रीसाइनमेंट और ऑनरशिप ट्रांसफर करने के साथ ही इस एप के जरिए वाहन स्वामी अपना पता तक बदल सकेंगे। इसके साथ ही लर्नर और पर्मानेंट डीएल के लिए आवेदन, रिनुअल, डुप्लीकेट, इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट हासिल करने के साथ ही डीएल के लिए होने वाले मॉक टेस्ट भी इसी एप के जरिए दे सकेंगे।