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काला बादल की जयंती 4 को, होगा पुस्तक विमोचन व प्रतिभा सम्मान

कोटा. स्वतंत्रता सेनानी भैरवलाल काला बादल की जयंती पर 4 सितम्बर को यूआईटी ऑडिटोरियम में पुस्तक विमोचन व प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।

कोटाSep 01, 2017 / 09:09 pm

shailendra tiwari

Kala Badal Birth Anniversary on 4th of September

कोटा. स्वतंत्रता सेनानी भैरवलाल काला बादल की जयंती पर 4 सितम्बर को यूआईटी ऑडिटोरियम में पुस्तक विमोचन व प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।

कोटा.
स्वतंत्रता सेनानी भैरवलाल काला बादल की जयंती पर 4 सितम्बर को दोपहर दो बजे बालाजी नगर स्थित यूआईटी ऑडिटोरियम में पुस्तक विमोचन व प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।

श्री मीना समाज विकास समिति के अध्यक्ष आर.डी. मीना ने बताया कि इस मौके पर उनके संस्मरणों और हिन्दी-राजस्थानी गीतों के संग्रह ‘काला बादल रे! अब तो बरसा दे बलती आग’ का विमोचन भव्य समारोह में होगा। पुस्तक का सम्पादन हिन्दी-राजस्थानी युवा कवि लेखक रामनारायण मीना ‘हलधर’ और डॉ. ओम नागर ने किया है।
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समारोह में राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरके मीना, राजीव गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के पूर्व कुलपति टी.सी. डामोर, लक्ष्मण मीना अध्यक्ष, अखिल भारतीय श्री मीना सामाजिक एवं शैक्षणिक समिति, कोटा सहित समाज के प्रमुख जनप्रतिनिधि और गणमान्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।
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नेहरू ने दिया था उपनाम
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1946 में उदयपुर में आयोजित देशी राज्य लोक परिषद् के सम्मेलन में जनचेतना गीत ‘काला बादल रे! अब तो बरसा दे बलती आग’ सुनकर भैरवलाल को कालाबादल उपनाम दिया था।
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परिचय

स्वतत्रंता सेनानी भैरव लाल ‘कालाबादल’ का जन्म 4 सितम्बर 1918 को बारां जिले की छीपाबड़ौद तहसील के ग्राम ककोड़ीखेड़ा में हुआ। पिता कालूराम मीना व माता धन्नी बाई के घर जन्मे भैरवलाल मिडिल तक शिक्षा लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।
सन् 1936 में प्रजामंडल की सदस्यता ग्रहण की, 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया। काला बादल राजस्थान की प्रथम विधानसभा 1952 में दो वर्ष 1957-1967 और 1977 राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। 1978 से 1980 जनता पार्टी सरकार में आयुर्वेद राज्य मंत्री रहे। 1967 से 1976 तक राजनिति से संन्यास ले लिया और इस दौरान पूर्ण समर्पण भाव से समाज सेवा करते हुए ‘मीणा-संसार’ पत्रिका का सम्पादन किया।
आपने जीवनपर्यंत हाड़ौती सहित पूरे राजस्थान में सामाजिक संगठनों के विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर रहकर लोक कल्याण और समाज सुधार के प्रेरणादायक कार्य सम्पादित किए। 20 अप्रेल 1997 में वे संसार से विदा हो गए।

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