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Makar Sakranti: कुछ शब्द ऐसें हैं जो पूरे साल में सिर्फ मकर सक्रांति के दिन ही लोगों की जुबान पर होते है, जानिए इन्हे…

कुछ शब्द ऐसे हैं जो सिर्फ मकर सक्रांति के दिन ही लोगों की जुबान पर होते हैं। ऐसे ही कुछ खास शब्दावली पत्रिका अापके समक्ष पेश कर रहा है।

कोटाJan 13, 2018 / 05:29 pm

abhishek jain

rajasthan news
कोटा .

हर वर्ष 14 जनवरी को मकर सक्रा‍ंति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग घर के कमरों में नहीं बल्की छतों पर दिखाई देते हैं। इस दिन घर के बडे लोग भी बच्चे बन जाते हैं और इस दिन का भरपूर आनंद लेते नजर आते हैं। इस दिन कुछ लोग पतंग उड़ाते तो कुछ लोग पतंग लूटते, कुछ चरखी पकडे तो कुछ मांझा पकडे़ नजर आते हैं। कुछ लोग मिठाईयां भी खाते नजर आते हैं। इस दिन छतों पर गाने चलाने का प्रचलन हैं। पतंगबाजी से संबंधित कुछ शब्द ऐसे भी हैं जो सिर्फ इसी दिन लोगों की जुबान पर होते हैं। जिन्हे लोग पूरे जोश के साथ बोलते नजर आते हैं। ऐसे ही कुछ खास शब्दावली पत्रिका अापके समक्ष पेश कर रहा है।
पेश है पतंग बाजी की शब्दावली

डोर: पतंग उडाने के लिए जिस धागे का इस्तेमाल किया जाता है।
तंग : पतंग को उडाने के लिए पहले पतंग में उपर व नीचे छेद कर उसमें धागा पिरोया जाता है और बांध दिया जाता है। यह पतंग को हवा में पकड़ने के लिए रखा जाता है। इसकी गुणवत्ता पतंग के वायुगतिकी को परिभाषित करता है। इसके सही बांधने पर ही पतंग अच्छी उड़ती है। यह गलत बंध जाए तो पतंग का हवा में उड़ने की चाल ढाल बदल जाती है। पतंग में उपर की तरफ ज्यादा गांठ लगा दें तो पतंग उडते समय हल्की महसूस होती है और अगर ज्यादा गांठे नीचे की तरफ लगा दे तो यह भारी महसूस होती है। इसलिए इसका सही अनुपात में बांधा जाना अत्यंत आवश्यक है।
कांप: बांस की डंडी जो पतंग की संरचना के लिए कागज के साथ लगाई जाती है।
कन्नी/जोते : पतंग एक वायुगतिक रूप से एक ही दिशा में जाती है या तिरछी होती है तो यह कन्नी कट कहलाती है।
लिप्पु: पतंग का प्रकार, जो पतंग डिजाइन में ढिली होती है वह तेज हवा के कारण थोडी सिमट सी जाती है।
मांझा: पेंच लडाने के लिए कांच या अन्य चीजों से तैयार धागा। जिसमें बहुत तेज धार होती है इससे सावधानी से इस्तेमाल करना होता है अन्यथा इससे उंगली भी कट जाती है।
गिरगडी /चरखी: डोर व मांझा लपेटने के लिए एक यंत्र जिससे डोर व मांझा तुरंत समेट लिया जाता है और इस पर इकट्ठा कर लिया जाता है।
गाँठ/गीठान: दो धागाें को जोडने के लिए बांधना, बंधने के बाद यहा गांठ बन जाती है।
ढील: पतंग को आगे पहुंचाने के लिए चरखी से डोर देना।
सद्दा : बच्चों की अंगुली कटने से बचाने के लिए विशेष रूप से बनाया धागा जिसमें कांच का लेप नहीं होता।
पेच: एक पतंग से दूसरी पतंग की प्रतिस्पर्धा।
उपल्ले लगना: पतंग को सामान्य उंचाई से बहुत उपर उठाना।
आँख कट : एक पतंग जिसमें दो बिंदु होते हैं जो आंख के समान दिखते है।
दरवाजा कट: एक पतंग जिसमें दाई और बांई ओर एक कागज की पट्टी होती है।
पिन्नी कट: एक पतंग जो प्लास्टिक शीट की बनी होती है।
माथा कट: विकर्णों से दो कागजात में बनाया पतंग।
चाँद तारा: एक पतंग जिस पर चांद और तारे बने हों।
डंडा कट: एक पतंग जिसमें बीच में एक अलग कागज इस्तेमाल कर बीच में डंडे सी आकृति बनाना।

दुपट्टा: दो रंग के कागज इस्तेमाल कर दोनों को उपर नीचे जोड बनाई पतंग।

तिरंगा: एक पतंग जिसमें तिरंगा बना हो।
मच्छा कट: एक पतंग जिसमें बीच में अलग कागज इस्तेमाल हुआ हो और दोनों साइड में अलग। इस पतंग में बीच वाला कागज v शेप में होता है।

चौकडी कट: एक पतंग जिसमें अलग अलग कागज से जोड चार डिब्बे बने हों।
अंडा कट: इस पतंग में एक अलग रंग का कागज से अंडे सी आकृति बनी होती है।

लड्डू कट: एक पतंग जिसमें उपर के कोने पर लड्डू सी आकृति बनी होती है।

डिब्बा कट: एक पतंग जिसमें बहुत सारे डिब्बे बने हो।
ढिक्कल: एक पतंग जो सामान्य आकार के पतंग से बड़ा होता है।

भूतकट: एक पतंग जो कई सारे अलग-अलग रंग के कागज जोडकर बनाई जाती है।
गोला: एक पतंग जो एक ही रंग के सादा कागज से बनी हो जिसमें कोई डिजाइन न हो और जिसमें नीचे की और एक त्रिभुज की आकृति का कागज लगा हो।
गुड्डी: एक पतंग जो एक ही रंग के सादा कागज से बनी हो जिसमें डिजाइन न हो और नीचे की और जिसमें कागज की छोटी कतरन एक साथ जोड़ कर धागे के साथ लगाई
अल्लगे/वो काटा : पतंग से पेच लडाते समय जब दूसरे व्यक्ति की पतंग काट देते हैं तो काटने वाला यह बोलता है।
छुट्टी देना : पतंग को आसानी से हवा में उडाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पतंग को 20-30 मीटर की दूरी पर ले जा कर हवा में उछालना।

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