चम्बल की दोनों नहरों में दौड़ रहा है पानी, लेकिन खेतों में नहीं पहुंचा
मानसून की बेरुखी से फसलों को पानी की सख्त जरूरत
चम्बल की दोनों नहरों में दौड़ रहा है पानी, लेकिन खेतों में नहीं पहुंचा
कोटा। मानसून की बेरुखी के चलते खरीफ की फसल को बचाने के लिए सीएडी प्रशासन ने चम्बल की दोनों नहरों में जल प्रवाह कर दिया है। नहरें झाडिय़ों व कचरे से अटी पड़ी है। इस कारण पानी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इस वजह से नहरों में पानी छोडऩे के सात दिन बार भी हेड की छोटी नहरें सूखी पड़ी है। जबकि फसलों के लिए पानी की सख्त जरूरत है।किसानों की जबर्दस्त मांग के चलते सीएडी प्रशासन ने मंगलवार को दोनों नहरों में जल प्रवाह बढ़ा दिया है। दाईं मुख्य नहर में तीन हजार क्यूसेक से बढ़ाकर 3500 क्यूसेक कर दिया है। जबकि बाईं मुख्य नहर में एक हजार क्यूसेक से बढ़ाकर 1200 क्यूसेक कर दिया है। इस नहर की कुल जल प्रवाह क्षमता ही 1500 क्यूसेक है। बारिश नहीं होने तथा भीषण गर्मी के फसले पानी के अभाव मे सूखने के कगार पर पहुंच गई है। अगेती फसलों की तो कटाई शुरू हो गई है। लेकिन बाद में बोई गई फसलों को पानी की सख्त जरूरत है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डा. रामावतार शर्मा का कहना है कि बारां और झालावाड़ में तो सोयाबीन और उड़द की कटाई शुरू हो गई है। कोटा और बूंदी जिले में बुवाई देर से हुई थी , इसलिए पानी की जरूरत है। कुछ जगह बारिश होने से फसलों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। कल्याणपुरा डिस्ट्रीब्यूटरी के झोटोलीटेल क्षेत्र के किसानो ने बताया कि यहां पानीके अभाव मे पहले ही देरी से फसल की बुवाई हुई। इसमें दो माह की जैसे तैसे फसल हो गई लेकिन अब पानी नही मिलने से फसलों में फलाव नहीं आ रहा। ऐसे मे उड़द की फसल तो पूरी तरह खराब ही हो गई है। ऐसे में खेत हांकई करने लग गए हैं।
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