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कोटा

करोड़ो बह गए नहरों में, जिम्मेदार कौन ?

प्रथम और द्वितीय चरण के कार्य अधूरे, फिर भी तीसरे चरण के लिए कर दिए टेंडर

कोटाFeb 17, 2020 / 12:50 pm

Ranjeet singh solanki

करोड़ो बह गए नहरों में, जिम्मेदार कौन

करोड़ो बह गए नहरों में, जिम्मेदार कौन

कोटा. हाड़ौती के किसानों की जीवन रेखा मानी जाने वाली चम्बल की नहरों की मरम्मत और जीर्णोद्धार के नाम पर सरकार करोड़ों रुपए का बजट खर्च कर रही है, लेकिन कार्य पूरे नहीं होने के कारण किसानों को फायदा नहीं मिल पाया है। पहले के पैकेज के मरम्मत के कार्य अभी तक पूरे नहीं हुए है और सीएडी के अधिकारी अब नए टेण्डर करवाने की तैयारी में है।चम्बल के जर्जर नहरी तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार ने 1274 करोड़ की महत्वपूर्ण परियोजना मंजूर की थी। लेकिन अभी तक एक भी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। जबकि वर्ष 2016 से 2019 तक 16 मरम्मत कार्य के टेण्डर जारी किए थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि सीएडी प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक ही अभी तक एक भी कार्य पूरा नहीं हुआ है।
ठेकेदारों की लापरवाही के कारण चम्बल की दाईं और बाईं मुख्य की वितरिकाओं व माइनरों के मरम्मत कार्य अधूरे पड़े है। किसानों के लिए मरम्मत कार्य फायदे की जगह नुकसानदेय हो गए हैं। क्योंकि अधूरे कार्यों के कारण पहले से भी ज्यादा व्यर्थ बहन लग गया है। दाईं मुख्य नहर की किशनपुरा माइनर की ही स्थिति यह है कि मरम्मत के लिए पहले की दीवार को तोड़ दिया गया और पक्की दीवार बनाने का काम शुरू किया गया, लेकिन 60 फीसदी से अधिक कार्य अधूरा पड़ा है। इस कारण यह नहर इस सीजन में ही जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई। इस कारण मुख्य सीजन में ही करीब एक पखवाड़े का जलप्रवाह बंद करने के लिए क्लोजर लेना पड़ा है। अभी भी क्षतिग्रस्त दीवार को टूटने से बचाने के लिए मिट्टी के कट्टे लगा रखे हैं। अधूरे कार्य पड़े होने के कारण नहरों के सीपेज की समस्या बढ़ गई है। इसका दंश शहर से लेकर किसान भी भुगत रहे हैं। बोरखेड़ा क्षेत्र, थेगड़ा, कैथून रोड, कुन्हाड़ी क्षेत्र में नहरी पानी के सीपेज से मकान में सीलन आ रही है। इस कारण मकान क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र मे सीपज से फसलों को नुकसान हो रहा है।

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