डेढ़-दो साल में बदल लेते हैं हेंडसेट मोबाइल कारोबारी विनोद परियानी बताते हैं कि साल भर में एंड्रॉयड मोबाइल की नई कम्पनी बाजार में आ जाती है। ग्राहकों को लुभाने के लिए हैंडसेट लॉन्च होने के पहले ही कम्पनियां इतना प्रचार-प्रसार कर देती हैं कि हैंडसेट बाजार में आते ही बिक जाते हैं। एडवांस बुक हो जाते हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए कई बार तो कम्पनियां मोबाइल खरीद पर स्कीम भी जारी करती है। या फिर शोरूम संचालकों द्वारा ही अपने स्तर पर स्कीम निकाल कर बिजनेस बढ़ा दिया जाता है। अमूमन 20-25 हजार रुपए मासिक आमदनी वाला व्यक्ति डेढ़-दो साल में अपने हैंडसेट को बदल लेता है।
ऑनलाइन ज्यादा, ऑफलाइन कम
कोटा मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष कन्हैया कारवानी बताते हैं कि अब लोग कीपेड मोबाइल की तरफ तो देखते भी नहीं। कंपनियों ने कीपेड मोबाइल बिजनेस को खत्म सा कर दिया है। इसके अलावा भी शहर की गलियों, गुमटियों में भी मोबाइल का कारोबार होने लगा है। यहां लोकल कम्पनियों के मोबाइल बिकते हैं।
कोटा मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष कन्हैया कारवानी बताते हैं कि अब लोग कीपेड मोबाइल की तरफ तो देखते भी नहीं। कंपनियों ने कीपेड मोबाइल बिजनेस को खत्म सा कर दिया है। इसके अलावा भी शहर की गलियों, गुमटियों में भी मोबाइल का कारोबार होने लगा है। यहां लोकल कम्पनियों के मोबाइल बिकते हैं।
इनके अलावा लोग मोबाइल से अपडेट होकर नए वर्जन के मोबाइल की ऑनलाइन शोपिंग भी कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक जितने मोबाइल रिटेल काउंटर, शोरूम से बिकते हैं, उतने ही एंड्रॉयड मोबाइल का कारोबार ऑनलाइन हो जाता है।
यह है मोबाइल कारोबार की गणित – 224 शोरूम, रिटेलर एसोसिएशन में पंजीकृत
– 10 मोबाइल का प्रत्येक दुकान पर औसत कारोबार – 2000 मोबाइल का दुकानों से रोजाना कारोबार
– 2000 मोबाइल का रोजाना ऑनलाइन कारोबार
– 5000 रुपए प्रत्येक मोबाइल की औसत कीमत
– 2 करोड़ के मोबाइल का रोजाना कोटा में कारोबार (कोटा मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष कन्हैया कारवानी द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार)
– 2 करोड़ के मोबाइल का रोजाना कोटा में कारोबार (कोटा मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष कन्हैया कारवानी द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार)