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आर्थिक सुगमता सूचकांक में कोटा तीसरे नम्बर पर

देशभर के टॉप टेन शहरों की सूची जारी, रहने के मामले में सबसे बेहतरीन शहर पुणे को माना गया।
 

कोटाAug 13, 2018 / 06:37 pm

shailendra tiwari

kota news

आर्थिक सुगमता सूचकांक में कोटा तीसरे नम्बर पर

कोटा। भारत में रहने के मामले में अव्वल शहरों की जीवन सूचकांक सूची सोमवार को जारी की गई। रहने के मामले में सबसे बेहतरीन शहर पुणे को माना गया। वहीं सुगमता सूचकांक की चार श्रेणियों की अलग-अलग रैङ्क्षकग भी जारी की गई। चार श्रेणियों में संस्थागत प्रबंधन, सामाजिक, आर्थिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की स्थिति शामिल है। इनमें कोटा आर्थिक श्रेणी में टॉप दस शहरों में तीसरे स्थान पर है। पहले नम्बर पर चंडीगढ़ और दूसरे नम्बर पर अजमेर है। यह आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की पहल है। सुगमता सूचकांक पहली बार जारी किए गए हैं। जिसके जरिए शहरों में बसने वाले लोगों के जीवन को आसान बनाने का प्रयास किया गया है। इन चार मानकों का आगे 15 उप श्रेणियों और 78 संकेतों में वर्गीकरण किया गया है।
आगे क्या होगा
पूरे देश में 4 जनवरी से 31 जनवरी 2019 के बीच सभी शहरों में स्वच्छ सर्वेक्षण कराया जाएगा। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य शहरों को कचरा और खुले में शौच से मुक्त कराने के प्रयास में व्यापक स्तर पर जन भागीदारी सुनिश्चित करना तथा समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए शहरों को जीने लायक बेहतर स्थान बनाने के प्रति जागरूकता पैदा करना है। सर्वेक्षण के जरिए लोगों को शहरों में साफ. सफ ाई के लिए किए जा रहे कार्यों की विश्वसनीय और प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराने की भी कोशिश होगी।
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डिजिटल सर्वे होगा

स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 ऑनलाइन के माध्यम से डिजिटल सर्वे होगा। सर्वेक्षण के संकेतक प्रश्नावली में 5000 अंक होंगे, जबकि 2018 के सर्वेक्षण के ऐसे सर्वेक्षण में 4000 अंक रखे गए। सेवा स्तर पर हुई प्रगति की श्रेणी में एक नया घटक जोड़ा गया है। आवास और शहरी मामलों के मत्रालय ने शहरों को स्टार रेटिंग देने के लिए दो अलग-अलग मानक निर्धारित किए हैं। स्टार रेटिंग के लिए मंत्रालय द्वारा निर्धारित 12 मानकों के आधार पर शहरों का आकलन किया जाएगा। इसमें शहरों में नालियों और जल स्रोतों की साफ सफ ाई, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, निर्माण और तोडफ़ ोड़ की गतिविधियों के दौरान निकलने वाले कचरे के निपटान आदि बातें शामिल हैं।
कोचिंग का बड़ा योगदान
कोटा को जीवन सूचकांक की आर्थिक श्रेणी में तीसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए यहां की कोचिंग संस्थाओं को बड़ा योगदान है। करीब डेढ़ से दो लाख बच्चे हर साल यहां आते हैं।

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