राजस्थान हाईकोर्ट ने सजायाफ्ता अंकुर पाडिया की सजा 25 साल रखी है, जबकि उसके बड़े भाई अनूप पाडिया की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। मामले में जयपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी गर्ग ने पीडि़त का पक्ष रखा था। यह आदेश हाईकोर्ट ने चारों की अपील का निस्तारण करते हुए दिया है। कोर्ट ने उक्त मामले में अंकुर के नौकर महावीर शर्मा की 4 साल और करनजीत सिंह की 2 साल की सजा भी बरकरार रखी है। इसके पहले कोटा के अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण न्यायालय ने मामले में 26 फरवरी 2018 को अंकुर पाडिय़ा को फांसी की सजा व अनूप पाडिय़ा को उम्रकैद और महावीर को 4 साल और करनजीत सिंह को 2 साल की सजा सुनाई थी।
गौरतलब है कि अंकुर पाडिया ने 9 अक्टूबर 2014 को तलवंडी स्थित एक पार्क से 7 वर्षीय रुद्राक्ष का अपहरण कर लिया था। दो करोड़ की फरौती नहीं मिलने और पकड़े जाने के डर से उसने रुद्राक्ष की हत्या कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में अंकुर पाडिया, उसके भाई अनूप पाडिय़ा, नौकर महावीर और दिल्ली के मोबाइल सिम विक्रेता करनजीत सिंह को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने जांच में चारों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ चालान पेश किया था। सभी ने सजा के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने अंकुर की अपील पर उसकी फांसी की सजा रद्द कर दी थी। अधीनस्थ न्यायालय को सजा के बिंदु पर दुबारा से सुनवाई के निर्देश दिए थे।