कही आप भी तो नहीं खरीद रहे इन कॉलोनी में प्लॉट जहां खतरे में है जान
कोटा के नाम पर ट्रिपल आईटी स्थापित हुए 8 साल गुजर गए, लेकिन अभी तक यह कोटा नहीं पहुंच सकी है। तीन नए डिग्री कॉलेज खुल गए, लेकिन बावजूद इसके एक सीट नहीं बढ़ी। कोटा विश्वविद्यालय और वर्धमान महावीर खुला विवि में इंटरप्योनोरशिप एंड स्किल डवलपमेंट सेंटर की बजट घोषणाएं करके सरकार अपने वायदे से पलट गई। हालात यह है कि 90 लाख की लागत से बनी आईटीआई की नई इमारत सिर्फ इसलिए धूल फांक रही है कि सरकार को उसका फीता काटने की फुर्सत नहीं मिली।
कोटा के नाम पर ट्रिपल आईटी स्थापित हुए 8 साल गुजर गए, लेकिन अभी तक यह कोटा नहीं पहुंच सकी है। तीन नए डिग्री कॉलेज खुल गए, लेकिन बावजूद इसके एक सीट नहीं बढ़ी। कोटा विश्वविद्यालय और वर्धमान महावीर खुला विवि में इंटरप्योनोरशिप एंड स्किल डवलपमेंट सेंटर की बजट घोषणाएं करके सरकार अपने वायदे से पलट गई। हालात यह है कि 90 लाख की लागत से बनी आईटीआई की नई इमारत सिर्फ इसलिए धूल फांक रही है कि सरकार को उसका फीता काटने की फुर्सत नहीं मिली।
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90 लाख का भवन तैयार, उद्घाटन का इंतजार
वर्ष 2011 में कोटा में ट्रिपल आईटी स्थापित करने की घोषणा की गई थी। कोटा ट्रिपल आईटी देश का पहला प्रौद्योगिकी संस्थान है, जिसे सरकार ने निजी जन सहभागिता (पीपीपी मोड) पर शुरू किया। 128 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले इस संस्थान के निर्माण का 50 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार उठा रही है।
90 लाख का भवन तैयार, उद्घाटन का इंतजार
वर्ष 2011 में कोटा में ट्रिपल आईटी स्थापित करने की घोषणा की गई थी। कोटा ट्रिपल आईटी देश का पहला प्रौद्योगिकी संस्थान है, जिसे सरकार ने निजी जन सहभागिता (पीपीपी मोड) पर शुरू किया। 128 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले इस संस्थान के निर्माण का 50 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार उठा रही है।
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जबकि 35 प्रतिशत राज्य सरकार और 15 प्रतिशत खर्च चार औद्योगिक घरानों से जुटाया जा रहा है, लेकिन, ट्रिपल आईटी की घोषणा के साथ ही केंद्र और राज्य के बीच धन आवंटन को लेकर ऐसा विवाद खड़ा हुआ कि कोटा के विकास को चार चांद लगाने वाला यह सबसे बड़ा शैक्षणिक संस्थान भूमि पूजन से आगे का सफर तय नहीं कर सका। सात साल बाद भी राज्य सरकार इसके लिए महज 100 एकड़ जमीन ही आवंटित कर पाई है। पांच साल से कोटा ट्रिपल आईटी में दाखिला लेने वाले बच्चों की पढ़ाई भी एनआईटी जयपुर में कराई जा रही है।
जबकि 35 प्रतिशत राज्य सरकार और 15 प्रतिशत खर्च चार औद्योगिक घरानों से जुटाया जा रहा है, लेकिन, ट्रिपल आईटी की घोषणा के साथ ही केंद्र और राज्य के बीच धन आवंटन को लेकर ऐसा विवाद खड़ा हुआ कि कोटा के विकास को चार चांद लगाने वाला यह सबसे बड़ा शैक्षणिक संस्थान भूमि पूजन से आगे का सफर तय नहीं कर सका। सात साल बाद भी राज्य सरकार इसके लिए महज 100 एकड़ जमीन ही आवंटित कर पाई है। पांच साल से कोटा ट्रिपल आईटी में दाखिला लेने वाले बच्चों की पढ़ाई भी एनआईटी जयपुर में कराई जा रही है।
चुनावी साल में सरकार ने इसे राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में ट्रांसफर करने का फैसला लिया है, लेकिन कई महीनों की कवायद के बावजूद अभी तक केंद्र सरकार की इजाजत तक हासिल नहीं की जा सकी है।
पुराने भवनों में ही चल रहे नए कॉलेज
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही पहली बजट घोषणा में कोटा को तीन नए कॉलेजों की सौगात मिली। अपने ही शहर में बेहतर पढ़ाई की उम्मीद लिए युवाओं को तब धक्का लगा जब, पहले दो साल तक इन कॉलेजों में दाखिले तक शुरू नहीं हो सके और इसके बाद दाखिले शुरू हुए तो स्वरूप को लेकर विवाद हो गया।
पुराने कॉलेजों के संकायों को तोड़कर ही सरकार ने इन नए कॉलेजों की स्थापना कर दी। जिसके चलते दाखिलों के लिए मारा-मारी होने के बावजूद एक नई सीट नहीं बढ़ सकी। विवाद तक और ज्यादा बढ़ गया जब पुरानी इमारतों पर नए कॉलेजों ने दावा ठोक दिया।
जैसे-तैसे पिछले साल स्थिति स्पष्ट हो सकी कि राजकीय महाविद्यालय की कला संकाय को तोड़कर नया कॉलेज बनाया गया है। वहीं जेडीबी कॉलेज की कला और वाणिज्य संकाय को नए कॉलेज में तब्दील कर दिया गया है। हालांकि इन कॉलेजों के लिए इमारतों और संसाधनों की बात तो छोडि़ए पर्याप्त शिक्षकों का इंतजाम अभी तक नहीं हो सका है।
सवाल यह भी
कोटा का हक आईआईटी संस्थान था। जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर ले गए। वह आईआईटी कुछ समय कानपुर आईआईटी में चली। इसके बाद जोधपुर में वैकल्पिक भवन में स्थानांतरित किया गया और गत वर्ष वह नागौर रोड स्थित अपने भवन में स्थानांतरित हो गई, लेकिन कोटा में आईआईटी के एवज में दी गई ट्रिपल आईटी अब भी दूसरों के आसरे है।