कोटा का रियासतकालीन चिडि़याघर केन्द्रीय चिडि़याघर प्राधिकरण के मापदण्डों पर खरा नहीं उतरता। इसका आकार काफी छोटा है, वहीं इसमें वन्यजीवों के बाड़े भी छोटे हैं। इन स्थितियों के चलते प्राधिकरण चिडि़याघर को स्थाई मान्यता नहीं देता। प्रस्तावित बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण तक आवश्यकता के अनुसार अस्थाई तौर पर मान्यता बढ़ाई जाती है।
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बायोलॉजिकल पार्क का इंतजार सरकार की नांता अभेड़ा क्षेत्र में बायोलॉजिकल पार्क बनाने की योजना है। यह योजना करीब 25 वर्षों से कागजों में दौड़ रही है। क्षेत्र में निगम का ट्रेंचिंग ग्राउण्ड होने से बायोलॉजिकल पार्क आकार नहीं ले सका। पिछले दिनों सीजेडए ने सुझाओं के साथ अभेड़ा में चिडि़याघर बनाने को स्वीकृति दी थी।