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कोटा

कोरोना से जंग के बीच अच्छी खबर,अच्छे अच्छे पियक्कड़ों की छुड़ा दी लॉक डाउन ने

Corona lockdown लॉकडाउन ने एक तरह से अघोषित शराब बंदी भी लागू कर दी है।

कोटाApr 26, 2020 / 07:04 pm

Suraksha Rajora

कोरोना से जंग के बीच अच्छी खबर,अच्छे अच्छे पियक्कड़ों की छुड़ा दी लॉक डाउन

कोरोना से जंग के बीच अच्छी खबर,अच्छे अच्छे पियक्कड़ों की छुड़ा दी लॉक डाउन

@सुरक्षा राजौरा

कोटा. लॉकडाउन ने एक तरह से अघोषित शराब बंदी भी लागू कर दी है। इस वजह से शराब के आदी लोग विड्रॉल सिस्टम का सामना कर रहे हैं और मानसिक व शारीरिक पीड़ा झेल रहे हैं। हालांकि परिजन परेशान तो हैं, इसी बात की आस जगी है कि लंबे समय से शराब नहीं मिलने के कारण हो सकता है कि पीडि़त की शराब छूट जाए। कोटा मेडिकल कॉलेज में अब तक ऐसे 400 से अधिक लोग पहुंच चुके हैं, जिन्हें शराब नहीं मिलने के कारण विड्रॉल सिस्टम आ रहे हैं। उन्हें काउंसलर और दवा से ठीक किया जा रहा है।
बसंत विहार में रहने वाले 43 साल के मोहन लाल कई सालो से शराब के आदी है अचानक लॉ क डाउन होने के कारण अब उन्हें शराब नहीं मिल रही। शुरुवात में महंगी कीमत पर व्यवस्था भी की लेकिन अब शराब नहीं मिलने से उनकी हालत खराब होने लगी उनकी पत्नी ने बताया कि घर में झगड़ा करने लगते, नींद नहीं आती लेकिन इन सब के बावजूद स्थिति काबू में है ओर जल्द उम्मीद है कि सामान्य हो जाएगें। डाक्टर से इलाज के साथ घर के सभी सदस्य उनका पूरा ध्यान रख रहे है। लॉक डाउन में भले ही लोगो को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा हो लेकिन इसके इतर नशे के आदी लोगो के लिए ये लॉक डाउन किसी वरदान से कम नहीं।
तम्बाकू की लत से भी छूट रहा पीछा
तम्बाकू के आदी लोगों के लिए भी लॉकडाउन परेशानी का सबब है। ऐसे लोग तम्बाकू के लिए छटपटा रहे हैं, लेकिन कहीं भी तम्बाकू नहीं मिल रही। ऐसे लोग सिरदर्द ,चक्कर आना, चिड़चिड़ापन, काम में मन नहीं लगना जैसे लक्षण लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिन्हे निकोटैक्स च्यूंगम को सब्सिट्यूट के रूप में दिया जा रहा है। आवश्यक दवाओं के साथ उनकी काउसलिंग भी की जा रही है।
सामने आ रहे केस

आउटडोर में नशे के आठ से दस रोगी प्रतिदिन आ रहे हैं। इनमें ऐसे भी हैं, जो सालों से शराब पी रहे थे। शराब न मिलने से जिन्हें नींद न आना, चिड़चिड़ापन, मैमोरी लोस हो जाना या मिर्गी जैसे दौरे की परेशानी थी, उन्हें भर्ती किया जाता है। उचित परामर्श ओर दवा से ये ठीक हो जाते हैं। लॉक डाउन में शराब की उपलब्धता नहीं होने से ऐसे लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। परिवार के सदस्यों भी पीडि़त को प्रेरित करें। यही समय है नई खुशी नई जिंदगी प्राप्त करें।
डॉ देवेन्द्र विजयवर्गीय, विभागाध्यक्ष, मनोचिकित्सा

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