जवाहर नगर निवासी अशोक वर्मा के घर पर 24 शव पहुंचे तो हर तरफ से विलाप और करुण क्रंदन सुनाई पड़ रहा था। दूर-दराज रहने वाले रिश्तेदार रोते-बिलखते हुए पहुंच रहे थे। जब अर्थियां एम्बुलेंस में रखकर रवाना होने ही वाली थी तो एक महिला दौड़ती हुई आई। वह चिल्ला रही थी…, मुझे मोनू नहीं दिख रहा है, मेरा मोनू कहां है, मुझे बताओ…, कोई तो बताओ…।
वह अपने कलेजे के टुकड़े का इधर-उधर तलाश रही थी। फिर एम्बुलेंस की ओर दौडऩे लगी तो दो महिलाओं ने रोकने का प्रयास किया, लेकिन मां की ममता नहीं मानी और भीड़ के बीच दौड़ती आई। एम्बुलेंस में शवों से सफेद चादर हटाकर मोनू की तलाश करती रही। एक एम्बुलेंस के पास जाकर बोली भैय्या सही बताओ मेरा मोनू कहां है.., अर्थी को लेकर बैठे रिश्तेदारों ने कहा, मोनू यहां नहीं है.. तो वह नहीं मानी, वह एम्बुलेंस पर चढऩे लग गई। यह सब देखकर शव को लेकर बैठे परिजन की भी रुलाई फूट पड़ी.. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मृतकों के परिजनों का ढाढंस बंधाया ।