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कोटा

एक स्प्रिंग की कमी और सैंकड़ों यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़…बहुत नाइंसाफी है

एलएचबी कोचों में आए दिन टूट रही स्प्रिंग : श्रीगंगानगर-कोटा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कोचों में सबसे ज्यादा आ रही खराबी

कोटाNov 14, 2019 / 06:36 pm

mukesh gour

एक स्प्रिंग की कमी और सैंकड़ों यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़...बहुत नाइंसाफी है

एक स्प्रिंग की कमी और सैंकड़ों यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़…बहुत नाइंसाफी है

कोटा. दुर्घटना में कम से कम जनहानि हो और यात्रियों को अच्छी सुविधा मिले, रखरखाव आसान हो, इसके लिए भारतीय रेल ने जर्मन तकनीक वाले लिंके होफ मैन बुश (एलएचबी) कोचों को अपनाया, लेकिन इन्हीं कोचों ने अब रेलवे की चिंता बढ़ा दी है। बुधवार को फिर कोटा-माता वैष्णदेवी कटरा एक्सप्रेस के रैक के दो कोचों की स्प्रिंग टूटी मिली। इससे पहले मंगलवार को श्रीगंगानगर-कोटा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के एक कोच की स्प्रिंग टूटी मिली। इससे पहले कई बार इस ट्रेन में यह खामी मिलने के कारण कई कोचों को सिक करना पड़ा। इससे न केवल कोचों की गुणवत्ता पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं, बल्कि इनमें यात्रा कर रहे सैंकड़ों यात्रियों की सुरक्षा से भी खिलवाड़ हो रहा है।
श्रीगंगानगर-कोटा सुपरफास्ट एक्सप्रेस का विस्तार जब से झालावाड़ तक किया गया, तब से रेक के रखरखाव में लापरवाही की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं। यह ट्रेन सप्ताह में तीन दिन झालावाड़ तक जाती है। जिस दिन झालावाड़ जाती है, उस दिन रेक का रखरखाव नहीं हो पाता, क्योंकि झालावाड़ में पिटलाइन नहीं है। ऐसे में यह टे्रन झालावाड़ से श्रीगंगानगर जाती है और वहां से लौटने पर कोटा में इसका रखरखाव होता है। ऐसे में सप्ताह में तीन दिन ही इस ट्रेन का दैनिक रखरखाव किया जाता है। लगातार विभिन्न ट्रेनों के कोचों में स्प्रिंग टूटने पर अनुरक्षण यार्ड में भी दिक्कत खड़ी हो गई है। यहां पर्याप्त मात्रा में स्प्रिंग उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सिक कोचों में से स्प्रिंग निकालकर लगाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार देश के विभिन्न मंडलों में यह समस्या आ रही है। कोच की स्प्रिंग टूटने के सबसे ज्यादा मामले श्रीगंगानगर-कोटा सुपरफास्ट में हो रहे हैं।
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समय पालन में हो रही दिक्कत
कोचों में खराबी के कारण ट्रेनों का संचालन विलम्ब से हो रहा है। परेशान यात्री हंगाम करते हैं और कोच को काटने की स्थिति में यात्रियों को स्थान उपलब्ध कराने में रेलवे के पसीने छूट रहे हैं। कोटा मंडल की समयपालन बैठक में भी यह मुद्दा उठ चुका है। डीआरएम यू.सी जोशी ने यांत्रिक विभाग को दूसरे मंडलों से तालमेल बनाकर समस्या का निदान करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है।

उपकरणों का टोटा
एलएचबी कोचों का दैनिक रखरखाव करने वाले अनुरक्षण शेड में आवश्यकता के अनुसार उपकरणों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इससे कोचों का रखरखाव समय पर नहीं हो पा रहा। कोचों में लगने वाली स्पिं्रग का टोटा है।
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हंगामे के बाद भी नहीं हुआ सुधार
इससे पहले कोटा से श्रीगंगानगर जाने वाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस 9 नवम्बर को कोटा जंक्शन से दो घंटे विलम्ब से रवाना हुई। इसके दो कोचों में खराबी आने के कारण उन्हें अलग करना पड़ा। इसलिए ट्रेन विलम्ब हुई। ट्रेन के रवाना होने में देरी होने पर यात्रियों ने हंगामा किया। कोटा यार्ड क ी गोल्डन जुबली पिटलाइन पर जांच के दौरान ट्रेन के तृतीय श्रेणी वातानुकूलित तथा एक सामान्य कोच की स्प्रिंग टूटी मिली। इससे पहले शुक्रवार को भी एक कोच में में खराबी आई थी। पिछले कई दिनों से इस ट्रेन के रखरखाव में कोताही बरतने की शिकायतें आ रही हैं। इसके बाद भी सुधार नहीं हुआ।

2 हजार किमी का एक फेरा
झालावाड़ से श्रीगंगानगर की दूरी 1017 किमी है। यह ट्रेन झालावाड़ से श्रीगंगानगर जाती है, उसके बाद फिर कोटा आती है तब इसके रेक का रखरखाव होता है। सप्ताह में तीन दिन झालावाड़ तक चलती है, कोटा से श्रीगंगानगर की दूरी 919 किमी है।
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एलएचबी कोचों के उत्पादन पर जोर
रेलवे ने 2018-19 से मुख्य लाइन कोचों के निर्माण को पूरी तरह से एलएचबी डिजाइन वाली कोचों में रूपांतरित करने का फैसला किया था। इसलिए अब एलएचबी डिजाइन के कोचों का ही निर्माण हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों से उत्पादन इकाइयों में एलएचबी कोचों का उत्पादन लगातार बढ़ा है। 2004-05 से 2013-14 के बीच 2327 एलएचबी कोच का निर्माण हुआ था, जबकि 2014-15 से 2017-18 के बीच 5548 कोचों का निर्माण किया गया। 2018-19 के दौरान 4016 कोच बनाने का लक्ष्य तय करते हुए धीरे-धीरे सभी ट्रेनों के कोचों को एलएचबी में परिवर्तित करने की योजना बनाई। इस पर कार्य चल रहा है।

इन ट्रेनों के रैक बदले
कोटा-निजामुद्दीन जनशताब्दी एक्सप्रेस, कोटा-माता वैष्णोदेवी कटरा एक्सप्रेस, कोटा-उधमपुर एक्सप्रेस, इंदौर-नई दिल्ली इंटरसिटी, कोटा-श्रीगंगानगर सुपरफास्ट, स्वर्ण मंदिर मेल सहित कई ट्रेनों के रैक बदल दिए गए हैं।

1500 यात्री करते हैं सफर
एक तरफ की यात्रा में औसत 1500 यात्री ट्रेन में सफर करते हैं। इस तरह सैकड़ों यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है।
सतर्क है विभाग
रेलवे की ओर इस समस्या के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। यांत्रिक विभाग इसे लेकर सतर्क है।
विजय प्रकाश, प्रवक्ता, कोटा मंडल

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