सूअरों और बंदरों की समस्या के गंभीर रूप लेने पर निगम ने इनको पकडऩे के लिए 10-10 लाख रुपए का बजट जारी किया। निगम की ओर से बार-बार टेण्डर जारी करने के बावजूद किसी ने भी इस काम में रुचि नहीं ली। पूर्व पार्षद गोपालराम मण्डा का कहना है कि पूर्व में भी बंदरों के काटने की गंभीर समस्या सामने आई थी, तब मथुरा से बंदर पकडऩे वालों को बुलाया गया था।
निगम बंदर पकडऩे के बारे में स्थानीय स्तर पर टेण्डर जारी करता है, जबकि कोटा में तो कोई बंदर पकडऩे वाला ही नहीं है। इस कारण कोई इसमें भाग नहीं ले रहा। यदि निगम बंदरों की समस्या से निजात दिलाना चाहता है तो मुथरा व दिल्ली टीम भेजनी होगी। वहां के निकायों से भी सम्पर्क किया जा सकता है।
निगम के सफाई कर्मचारी ही पालते हैं सूअर : निगम के सफाई कर्मचारी ही सूअर पालते हैं। इस कारण सूअर पकडऩे के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा। इस बारे में जानकारों का कहना है कि बोर्ड के वक्त जो निगम के सफाई कर्मचारी हैं और यदि वह सूअर पालते पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती थी। इस कारण वे सफाई कर्मचारी व जमादार सूअर पालकों के खिलाफ कार्रवाई करते थे और जुर्माना लगाते थे।
कार्रवाई के डर से सूअर पालन छोड़ दिया था, लेकिन पिछले एक साल में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।& बंदरों के काटने की शिकायतों के चलते पकडऩे के लिए टेण्डर जारी किए हैं, ताकि लोगों को इस समस्या से निजात मिल सके। टेण्डर जारी करने के बाद किसी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई।
वासुदेव मालावत, आयुक्त, नगर निगम
वासुदेव मालावत, आयुक्त, नगर निगम