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Mother’s Day: बुरी नजर ‘छू-मंतर’ होती, मां की ममता भरी नजर से…एक बार जरूर पढ़े ये कविता

मां एक ऐसा शब्द है जो अपने आप में पूरे ब्रह्माण्ड को समेटे हुए है। मां कहते ही भावनाओं का एक सागर उमड़ता है, स्नेह का अभूतपूर्व अहसास होता है , क्यों न हो ये रिश्ता तो जन्म से पहले जुड़ जाता है प्रेम का साकार रूप है मां।

कोटाMay 14, 2017 / 10:29 am

shailendra tiwari

मां बच्चों को सदा बचाती, दुविधा-दिक्कत, 

कोप-कहर से । 

बुरी नजर ‘छू-मंतर’ होती, मां की ममता भरी नजर से।।

बच्चों की खुशियों की खातिर, मां ने मन्नत 

मान रखी है।

मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे

से, और साथ में

गिरजाघर से ।।

रोजगार के लिए सुबह 

जब, शहर चले

जाते हैं बच्चे ।

मां तक तक पथ तकती रहती, जब तक लौटें 

नहीं शहर से ।।

घर में मां है इसका 

मतलब, दया का दरिया 

है घर में ।

सदा स्नेह के मोती 

मिलते, इस दरिया की 

लहर-लहर से ।।

जिसके साथ दुआ है 

मां की, उसको मंजिल

मिल जाती है।

चाहे समतल राह से 

गुजरे, चाहे गुजरे कठिन डगर से।।

-अजहर हाशमी, वरिष्ठ साहित्यकार

‘मां तेरी महिमा का कैसे मैं बखान करूं,

‘मां तेरी महिमा का कैसे मैं बखान करूं,

इन छोटे से शब्द कोश से कैसे तेरा बखान करूं

मैं कच्ची गीली मिट्टी थी, तूने ही मुझको ढाला है

तेरी ममता की छाया में जीवन मैंने पाया है

तेरी अंगुली थाम कर मैंने दुनिया की दूरी नापी है,

तेरे कदमों में क्यों न जीवन कुर्बान करूं…

-कृति किरण द्विवेदी, शिक्षिका 

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