मंत्रालय की ओर से हाल में जारी नोटिफिकेशन के अनुसार ईको सेंसेटिव जोन में किसी भी प्रकार के खनन की अनुमति नहीं होगी, लेकिन इस सीमा के बाहर उच्चतम न्यायालय के टीएन गोडावर्मन थिरूमुलपाइ बनाम भारत गणराज्य व गोवा फाउंडेशन बनाम भारत गणराज्य मामलों में दिए गए निर्णयों के अनुरूप खनन किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त ईको सेंसेटिव जोन में प्रदूषण नहीं फैलाने वाले उद्योग लगाने की अनुमति दी गई है। प्रोटेक्टेड एरिया या ईको सेंसेटिव जोन की सीमा के बाहर कोई नया होटल या रिसोर्ट खोला जा सकेगा। पूर्व में विद्यमान पर्यटन गतिविधियों के विस्तार की अनुमति होगी। मंत्रालय के इस फैसले से करीब एक लाख लोगों से अधिक को फिर से रोजगार की राह प्रशस्त हो गई है।
प्रोटेक्टेड एरिया में इनकी मंजूरी
इको सेंसेटिव जोन या प्रोटेक्टेड एरिया के स्थानीय रहवासियों को उनके दैनिक उपयोग के लिए आवश्यक निर्माण की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा इस क्षेत्र में गैर-प्रदूषणकारी उद्योग के लिए न्यूनतम आवश्यक निर्माण की भी अनुमति मिल सकेगी। इस सीमा के परे जोनल मास्टर प्लान के अनुसार निर्माण की अनुमति रहेगी। गैर प्रदूषणकारी लघु उद्योग, सेवा उद्योग, एग्रो बेस्ट उद्योग, फूलों की खेती-बागवानी आदि की भी अनुमति रहेगी। पर्यटन के दृष्टिकोण से ईको सेंसेटिव जोन के ऊपर हॉट एयर बैलून, ड्रोन तथा माइक्रोलाइट उड़ाने की भी नियमानुसार अनुमति होगी।
दो वर्ष में बनाना होगा जोनल मास्टर प्लान नोटिफिकेशन में राज्य सरकार को दो वर्ष के भीतर ईको-सेंसेटिव जोन के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसमें राज्य सरकार को स्थानीय नागरिकों से चर्चा के साथ-साथ नोटिफिकेशन में दिए गए अन्य निर्देशों की पालना व पर्यावरण, कृषि, पर्यटन, ग्रामीण विकास समेत अन्य विभागों को भी शामिल करने को कहा गया है।
खनन व पर्यटन उद्योग को लगेंगे पंख नया नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस क्षेत्र में खनन व पर्यटन उद्योग को पंख लग जाएंगे। ईको सेंसेटिव जोन की सीमा पूर्व में 10 किमी होने के कारण खनन बंद होने से इससे जुड़े सहगामी उद्योग व कार्यों व स्पिलिटिंग इकाइयों प्रभावित हुई थी। इस कारण एक लाख से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया था। अब फिर से 3500 से अधिक खदानों में रौनक लौटेगी व एक लाख से अधिक श्रमिकों को भी रोजगार मिल सकेगा। इसी तरह पर्यटन क्षेत्र की गतिविधियों भी बढ़ सकेंगी।