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कोटा

नहीं सुधरे हालात, बच्चों का असुरक्षित सफर

हर साल होते हैं हादसे, फिर भी निजी स्कूल प्रशासन नहीं लेता सबक। निजी स्कूलों के पास नहीं बाल वाहिनियां। भुगतना पड़ता है परिजनों को।

कोटाApr 25, 2018 / 01:34 am

Anil Sharma

kota

हर साल होते हैं हादसे, फिर भी निजी स्कूल प्रशासन नहीं लेता सबक। निजी स्कूलों के पास नहीं बाल वाहिनियां। भुगतना पड़ता है परिजनों को।

रावतभाटा. प्रशासन की ओर से निजी विद्यालय संचालकों को बच्चों को लाने-ले जाने के लिए बाल वाहिनी का ही उपयोग करने के सख्त निर्देशों की उपखंड क्षेत्र में खुलेआम धज्जियां उड़ रही है। उपखंड के अधिकांश निजी विद्यालयों के पास अपनी बाल वाहिनियां नहीं है।
ऐसे में मजबूरन बच्चों को खटारा मिनी बसों और ऑटो में असुरक्षित सफर करना पड़ रहा है।
शहर के कुछ निजी विद्यालयों को छोडक़र अधिकांश निजी स्कूलों के पास बच्चों को घरों से लाने- ले जाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। ऐसे में अभिभावक मजबूरन अपने बच्चों को मिनी बस, ऑटो या फिर गैस सिलेण्डरों से चलने वाली कारों में भेजना पड़ रहा है। ऐसे में हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। इन सब के बीच जिम्मेदार आंखें मूंदकर बैठे हैं।
चालकों पर नहीं कोई नियंत्रण
वाहन चालकों के लाइसेंस, चलाने की क्षमता सहित अन्य जानकारी विद्यालय प्रशासन, शिक्षा विभाग व प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जाता। ऐसे में स्कूली वाहनों का संचालन वाहन मालिकों के मनमाफिक चालकों से करवा लिया जाता है। जिससे बच्चों की जान खतरे में रहती है।
दो दर्जन निजी स्कूल
क्षेत्र में करीब २४ से अधिक निजी विद्यालय है। इनमें बाल वाहिनियां नहीं होने से बच्चे असुरक्षित सफर कर रहे हैं।

वाहनों में जुगाड़ी व्यवस्था
स्कूली वाहनों में निर्धारित सीटों के अलावा भी बस चालकों की ओर से अधिक बच्चों को बैठाने के लिए लकड़ी की बेंचे या जुगाड़ कर अतिरिक्त व्यवस्था कर दी जाती है। इससे बच्चे बसों में सही से नहीं बैठ पाते और बे्रक लगने पर कई बार चोटिल हो जाते हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से बच्चे लाने में लगी बसों में क्षमता से अधिक बैठाने से बच्चों को मुश्किल भरा सफर तय करना पड़ रहा है।
बाल वाहिनियों के मामले में कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस बारे में विद्यालय प्रशासन को नोटिस जारी कर बच्चों को सुरक्षित सफर मुहैया करवाने के निर्देश दिए जाएंगे।
देवकीनंदन गौड़, बीईईओ, भैंसरोडग़ढ़।

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