यूं मिली राहत
वर्ष 2018-19 में गुजरात में धनिया की बुवाई घटने व वहां के किसानों का जीरे की बुवाई के प्रति रुझान बढऩे से राहत मिली। इस बीच हाड़ौती संभाग से भी धनिए का रकबा घटने का समाचार आया तो व्यापारियों की निगाहें हाड़ौती की पैदावार पर आ गई। रामगंजमंडी की मंडी में अन्य सालों की तुलना में सीजन के समय मे कम आवक ने व्यापारियों का मनोबल बनाए रखा तो मसाला कंपनियों की खरीदारी के जोर ने उसे संबल प्रदान किया।
तीन माह का ऐसा लेखा जोखा- रामगंजमंडी धनिया मंडी में बीते तीन माह में धनिया के भावों में 1500 रुपए की तेजी आई है। नए धनिए की आवक का दौर मंडी में जब शुरू हुआ तो सूखा बादामी धनिया मंडी में 5100 से 5400 रुपए तक खुली नीलामी में बिका। मार्च के अंतिम दिनों में बादामी धनिए के भाव 5700 से 5900 रुपए तक पहुंचे। अप्रेल में 200 रुपए के उछाल के साथ भाव औसतन 5900 से 6100 रुपए बने रहे। मई में आवक घटने लगी तो भावों में 8 मई के बाद तेजी की धारणा बनने लगी। 17 मई को बादामी धनिए के भाव इस सीजन में शिखर पर पहुंचकर 6600 से 6800 रुपए तक पहुंच गए।