लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह महत्वपूर्ण पद संभालने के साथ ही न केवल इस सत्र को सफल बनाया था साथ संसदीय इतिहास से जुड़े कई रेकॉर्ड बनाए थे। काम के लिहाज से भी पक्ष विपक्ष दोनों ने बिरला के काम की जमकर सराहना की थी। ऐसे में शीतकालीन सत्र में भी सभी राजनीतिक दलों की उनसे यही अपेक्षा होगी।
शिवसेना या भाजपा की ओर से गठबंधन तोडऩे का औपचारिक ऐलान भले ही नहीं हुआ हो, लेकिन मौजूदा घटनाक्रम से यह साफ है कि अब शिवसेना एनडीए का हिस्सा नहीं है। रविवार को होने वाली एनडीए की संसदीय दल की बैठक में भी शिवसेना ने जाने से इनकार कर दिया है। ऐसे में संसद में पहली बार शिवसेना एनडीए से अलग नजर आएगी और उसके सांसद विपक्ष में बैठे हुए नजर आएंगे।