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‘जिंदगी में मुसीबत आए तो पढ़ाई से ज्यादा हुनर काम आता है’

locationकोटाPublished: Dec 08, 2019 07:55:40 pm

Submitted by:

Rajesh Tripathi

पैरालंपिक एथलीट पद्मश्री दीपा मलिक से बातचीत
 

'जिंदगी में मुसीबत आए तो पढ़ाई से ज्यादा हुनर काम आता है'

‘जिंदगी में मुसीबत आए तो पढ़ाई से ज्यादा हुनर काम आता है’

कोटा. पैरालंपिक एथलीट पद्मश्री दीपा मलिक ने कहा कि पढ़ाई के साथ हुनर जरुरी है। जिंदगी में यदि विषम परिस्थितियां भी आए तो यह हुनर ही काम आते है। मलिक रविवार को कोटा प्रवास पर आई थी। यहां कोचिंग विद्यार्थियों से मिली। अपनी जिंदगी के कुछ अनछूए पल बताए। उन्होंने कहा कि स्कूल में बचपन में छोटी कक्षाओं में पाठ्यक्रम में पढ़ी कविताएं, महापुरुषों की जीवनियां ही जीवन में अ’छी सोच, मेहनत व दायित्व के साथ जीना सीखा देती है। इसलिए बचपन की पढ़ाई को गंभीरता से लेना चाहिए।
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से मची अफरा तफरी

मां-बाप भी उसे नम्बर पाने को लेकर प्रयास नहीं करें, बल्कि ब”ाों को अ’छे संस्कार दें। मलिक ने कहा कि बचपन में पांच साल की उम्र में जब बीमारी आई तो उनकी टांगों ने काम करना बंद कर दिया। लोगों के लिए अभिशाप बन गई, लेकिन मुझे उसने काफी सीखाया। काफी मेहनत की। बार-बार गिरती-चलती, लेकिन हार नहीं मानी और फिर से चल पड़ी। 30 साल की उम्र के बाद फिर से लकवा हो गया, जब दोबारा बिस्तर पर पड़ी तो बचपन की बातें व सीख काम आई। उस समय में दो ब”ाों की मां बन गई थी, लेकिन मैं सोचती थी कि मेरी बेटियां यह नहीं सोचे कि उनकी मां अपंग है, लाचार व उदास है। उन्होंने कहा कि अपंग होना अभिशाप नहीं है। सोच अपंग नहीं होनी चाहिए। सोच में ताकत होनी चाहिए। वह ज्ञान व पढ़ाई से आती है। बचपन में पढ़ाई के साथ हुनर भी साथ रखा। वह जीवन में काम आया। जब मुझे दिव्यांग आई तो हुनर की बदौलत में जीतती चली गई। जब स्विमिंग नहीं सीख सकी तो भाला फेंक सीखा। उससे वल्र्ड नम्बर टू तक पहुंची। एशियाई रिकॉर्ड बनाए। उसके बाद शॉटपुट सीख लिया। अब स्कूबा ड्राइविंग सीख रही हूं। उन्होंने कहा कि जिंदगी में आगे बढऩे के लिए कुछ ने कुछ सीखना पड़ेगा।
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