कागजी साबित हुई घोषणा, परेशानी में कोरोना वॉरियर्स का परिवार
कोटा मेडिकल कॉलेज के एमबीएस अस्पताल के कॉटेज वार्ड में तैनात रहे नर्सिंगकर्मी के कोरोना संक्रमित होने के बाद मृत्यु हो गई, लेकिन परिजनों को सरकार की ओर से घोषित आर्थिक सहायता चार माह बाद भी नहीं मिल पाई है।

कोटा. कोरोना महामारी के समय से अपनी जान जोखिम में डालकर रोगियों की सेवा कर रहे फ्रंटलाइन वॉरियर्स का मनोबल टूट रहा है। सरकार ने कोरोना रोगियों के उपचार में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों की मृत्यु होने पर उनके परिवार को ५० लाख रुपए की सहायता देने की घोषणा की थी, लेकिन यह कागजी साबित हुई। मेडिकल कॉलेज कोटा के नर्सिंगकर्मी लक्ष्मी शृंगी (४२) ने कोरोना संकट में समय दिन-रात संक्रमित रोगियों के उपचार में खुद को झौंक दिया था और कोरोना रोगियों का उपचार करते हुए वे खुद संक्रमित हो गए और रिकवर नहीं हो पाए और उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद सरकार को उनके परिवार को आर्थिक सहायता देने का प्रस्ताव भेज गया। दिवगंत शृंगी एमबीएस अस्पताल के कॉटेज वार्ड में तैनात थे और उनकी ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगी हुई थी। चार माह बीतने के बाद भी शृंगी के परिजनों को आर्थिक सहायता नहीं मिली है। उनके दो छोटे बच्चे हैं। स्वास्थ्यकर्मियों में इससे असंतोष है उन्होंने कहा, सरकार ने जो घोषणा की है उसे पूरी करे। राजस्थान नर्सिंग एसोसिएशन एकीकृत के जिलाध्यक्ष अनिल शर्मा ने बताया कि कोरोना वॉरियर्स की समस्याओं के निस्तारण में देरी होने से स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल टूटता है। शृंगी ने अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना रोगियों की सेवा की थी, अब उसके परिवार को सबंल देना सरकार की जिम्मेदारी है। दिवगंत नर्सिंगकर्मी की पत्नी चंदा शृंगी को अभी अनुकंपा नियुक्ति का इंतजार है। मृतक नर्सिंगकर्मी के भाई अजय शृंगी ने कहा, उनके प्रकरण का निस्तारण जल्द हो जाए तो परिवार को संबल मिल सकेगा। बार-बार जयपुर चक्कर काटने से मुक्ति मिल जाए तो अच्छा है।
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