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कोटा

शवयात्रा से आने के बाद नहाना क्यों है जरूरी जानिए

शमशान से किसी के अंतिम संस्कार के उपरांत लौटने पर घर मे प्रवेश से पहले व्यक्ति पर पानी छिड़का जाता है और उसके बाद उसे स्नान करना होता है।

कोटाDec 03, 2019 / 07:05 pm

Suraksha Rajora

शवयात्रा से लौटने के बाद तुरंत क्यों नहाना चाहिए

शवयात्रा से लौटने के बाद तुरंत क्यों नहाना चाहिए

कोटा .जन्म और मृत्यु प्रकृति के अटल सत्यों में सबसे प्रमुख है। जीवन-मरण के फेर में इंसान तभी बंध जाता है जब ईश्वर उसकी रचना करता है। मनुष्य जीवन में 16 संस्कारों को समाहित किया गया है, जो जन्म के साथ शुरू होते हैं और मृत्यु पर्यंत साथ रहते हैं।
आप तो जानते ही होंगे कि इस पृथ्वी पर जिसने भी जन्म लिया है, उसे एक दिन मरना ही है। कोई भी कैसा ही क्यों ना हो हो उसे मरना ही होता है। आपने देखा होगा जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसके शव को घर से श्मशान तक ले जाया जाता है। किसी के शव को कन्धा देने व उसकी शवयात्रा में शामिल होने को सभी धर्मों में पवित्र माना गया है। उसी समय इंसान को जीवन की सच्चाई का आभास होता है।

अंतिम संस्कार के बाद स्नान के धार्मिक कारण

ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि श्मशान से आने के बाद नहाने का धार्मिक कारण यह है कि श्मशान एक ऐसी जगह होती है जहाँ पर नकारात्मक शक्तियों का वास होता है। यह कमजोर दिल वाले व्यक्ति पर बहुत जल्द अपना कब्ज़ा कर लेती हैं। आपको बता दें पुरुषों की अपेक्षा महिलायें ज्यादा भावुक और मानसिक रूप से कमजोर होती हैं, इसलिए उन्हें श्मशान जाने की इजाजत नहीं होती है।
ऐसा माना जाता है कि अंतिम क्रिया हो जाने के बाद भी मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहाँ मौजूद रहता है। जो किसी पर भी बुरे प्रभाव डालने की शक्ति रखती है। इस नकारात्मकता को दूर करने के लिये अंतिम संस्कार के बाद स्नान
करने की प्रथा है।
वैज्ञानिक कारण

अंतिम संस्कार के बाद स्नान करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। अंतिम संस्कार से पहले ही शव काफी देर तक बाहर रहता है, इस वजह से वह वातारण के सूक्ष्म और संक्रामक कीटाणुओं से संक्रमित हो जाता है। इसके अलावा मृत व्यक्ति का शव भी संक्रामक रोगों से ग्रसित हो जाता है। जो लोग वहाँ उपस्थित होते हैं, उन्हें भी संक्रमित होने का खतरा होता है। लेकिन जब भी व्यक्ति नहाता है तो, उसके संक्रमण के कीटाणु साफ़ हो जाते हैं। इसलिए संतिम संस्कार के बाद स्नान करने की प्रथा है।
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