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सावधान कोटावासियों! सरकारी अस्पतालों में दवा के बहाने चोरी हो रहा आपका मोबाइल डाटा, कैसे, पढि़ए खबर

सरकारी अस्पतालों में कथित सुविधा के नाम पर एक निजी कंपनी मरीजों की बीमारी से संबंधित जानकारी चोरी कर रही है।

कोटाApr 16, 2019 / 11:34 am

​Zuber Khan

Patients mobile Data theft

सावधान कोटावासियों! सरकारी अस्पतालों में दवा के बहाने चोरी हो रहा आपका मोबाइल डाटा, कैसे, पढि़ए खबर

कोटा. Government Hospitals में कथित सुविधा के नाम पर एक निजी कंपनी को मरीजों की बीमारी से संबंधित जानकारी और मोबाइल नंबर देने के लिए बाध्य किया जा रहा है। सरकारी अस्पताल में आने वाले रोगियों का यह Data निजी हाथों में जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि अस्पतालों के जिम्मेदार अधिकारी भी आंखें मूंदे बैठे हैं। बिना जांच पड़ताल अधिकारियों ने निजी कंपनी पर मेहरबानी दिखाते हुए अस्पतालों में केनोपी व काउंटर लगाने तक की जगह उपलब्ध करवा दी है। इन केनोपी व काउंटरों पर निजी कंपनी के कर्मचारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की जानकारी ले रहे हैं। सरकारी पर्ची पर अपनी कंपनी की मोहर तक लगा रहे हैं। रोगियों का कहना है कि यह उनकी निजता का हनन है।
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यह है मामला…
शहर के अनेक सरकारी अस्पतालों में इस तरह की सूचना लगाई गई है, जिसमें कहा गया है कि पहले निजी एप कंपनी के कर्मचारियों के पास अपने Mobile Data पंजीकृत करा कर कंपनी की सील अपने पर्चे पर लगाएं, उसके बाद ही दवा लें। रोगियों का आरोप है कि उनकी जानकारी निजी एप कंपनी से साझा करने के लिए दबाव डाला जा रहा है। अस्पतालों में इसके लिए निजी कंपनी को बैठने के लिए स्थान भी दिया गया है। दो कर्मचारी वहां बैठे अपनी कंपनी के बारे में रोगियों को समझाते रहते हैं।

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बिना अनुमति के जगह कराई उपलब्ध
एमबीएस, रामपुरा जिला अस्पताल, भीमगंजमंडी, दादाबाड़ी व अन्य सीएससी में बिना सक्षम अनुमति के निजी कंपनी को जगह उपलब्ध करवा दी है। यहां कंपनी ने केनोपी व काउंटर लगा कर अपने कर्मचारी बिठा दिए हैं। यह कर्मचारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों से मनमर्जी से मोबाइल नम्बर मांग रहे हैं।
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डाटा लीक नहीं कर सकते हैं
मेडकॉडर््स हैल्थ केअर के हैल्थ कुंडली के लिए तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विक्रम जिंदल ने आदेश जारी किए थे। उसके बाद मैंने भी अस्पतालों को उसके आदेश जारी किए हैं। इसमें किसी मरीज का डाटा लीक नहीं कर सकते हैं। इसमें डाटा डॉक्टर व मरीज के बीच ही रहता है।
डॉ. गिरीश वर्मा, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज

मेडकॉडर््स हैल्थकेयर के प्रतिनिधि आज मुझसे मिलने आए थे। ये लोग कौन हैं। डिपाटमेंट से क्या फायदा ले रहे हैं। किसके अनुबंध पर यह काम कर रहे हैं, इसकी मुझे कोई जानकारी तक नहीं है। दादाबाड़ी सीएससी डिस्पेंसरी पर मरीजों की पर्ची पर सील लगाकर मोबाइल नम्बर ले रहे तो यह गलत है। इस मामले को दिखवाऊंगा।
डॉ. बीएस तंवर, सीएमएचओ

मेडकॉडर््स हैल्थकेयर से कोई अनुबंध नहीं हुआ। यह नि:शुल्क सेवा है। डिजिटलाइजेशन के इस दौर में मरीजों की बीमारी की पूरी कुंडली तैयार करने के कारण यह मोबाइल नम्बर लेते हैं।
डॉ. आर.के. लवानिया, संयुक्त निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग

दादाबाड़ी सीएससी पर मरीजों की हेल्थ कुंडली के मोबाइल रजिस्ट्रेशन के लिए मेडकॉडर््स हैल्थ केअर के बैनर लगा रखे हैं। दवा काउंटर पर मोबाइल रजिस्टे्रशन करवाने के बाद ही मरीजों को दवा उपलब्ध करवाने की बात लिखी है तो गलत है। मैं इसे हटवाता हूं। रजिस्टे्रशन के लिए किसी मरीज को बाध्य नहीं किया जा रहा है।
श्रेयांस मेहता, कॉर्डिनेटर, मेडकॉडर््स हैल्थकेअर

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