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यह है मामला…
शहर के अनेक सरकारी अस्पतालों में इस तरह की सूचना लगाई गई है, जिसमें कहा गया है कि पहले निजी एप कंपनी के कर्मचारियों के पास अपने Mobile Data पंजीकृत करा कर कंपनी की सील अपने पर्चे पर लगाएं, उसके बाद ही दवा लें। रोगियों का आरोप है कि उनकी जानकारी निजी एप कंपनी से साझा करने के लिए दबाव डाला जा रहा है। अस्पतालों में इसके लिए निजी कंपनी को बैठने के लिए स्थान भी दिया गया है। दो कर्मचारी वहां बैठे अपनी कंपनी के बारे में रोगियों को समझाते रहते हैं।
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बिना अनुमति के जगह कराई उपलब्ध
एमबीएस, रामपुरा जिला अस्पताल, भीमगंजमंडी, दादाबाड़ी व अन्य सीएससी में बिना सक्षम अनुमति के निजी कंपनी को जगह उपलब्ध करवा दी है। यहां कंपनी ने केनोपी व काउंटर लगा कर अपने कर्मचारी बिठा दिए हैं। यह कर्मचारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों से मनमर्जी से मोबाइल नम्बर मांग रहे हैं।
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डाटा लीक नहीं कर सकते हैं
मेडकॉडर््स हैल्थ केअर के हैल्थ कुंडली के लिए तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विक्रम जिंदल ने आदेश जारी किए थे। उसके बाद मैंने भी अस्पतालों को उसके आदेश जारी किए हैं। इसमें किसी मरीज का डाटा लीक नहीं कर सकते हैं। इसमें डाटा डॉक्टर व मरीज के बीच ही रहता है।
डॉ. गिरीश वर्मा, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
मेडकॉडर््स हैल्थकेयर के प्रतिनिधि आज मुझसे मिलने आए थे। ये लोग कौन हैं। डिपाटमेंट से क्या फायदा ले रहे हैं। किसके अनुबंध पर यह काम कर रहे हैं, इसकी मुझे कोई जानकारी तक नहीं है। दादाबाड़ी सीएससी डिस्पेंसरी पर मरीजों की पर्ची पर सील लगाकर मोबाइल नम्बर ले रहे तो यह गलत है। इस मामले को दिखवाऊंगा।
डॉ. बीएस तंवर, सीएमएचओ
मेडकॉडर््स हैल्थकेयर से कोई अनुबंध नहीं हुआ। यह नि:शुल्क सेवा है। डिजिटलाइजेशन के इस दौर में मरीजों की बीमारी की पूरी कुंडली तैयार करने के कारण यह मोबाइल नम्बर लेते हैं।
डॉ. आर.के. लवानिया, संयुक्त निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
दादाबाड़ी सीएससी पर मरीजों की हेल्थ कुंडली के मोबाइल रजिस्ट्रेशन के लिए मेडकॉडर््स हैल्थ केअर के बैनर लगा रखे हैं। दवा काउंटर पर मोबाइल रजिस्टे्रशन करवाने के बाद ही मरीजों को दवा उपलब्ध करवाने की बात लिखी है तो गलत है। मैं इसे हटवाता हूं। रजिस्टे्रशन के लिए किसी मरीज को बाध्य नहीं किया जा रहा है।
श्रेयांस मेहता, कॉर्डिनेटर, मेडकॉडर््स हैल्थकेअर