बैठक में जैसे ही सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों की बात सामने आई तो संस्था प्रधानों ने प्रो. सिंह को घेर लिया। उन्होंने कहा कि अधिकारी ही आपदाओं को आमंत्रित कर रहे है। सरकारी स्कूलों में इतना बजट नहीं आता है कि भवनों की मरम्मत करवा सके। हमने शिक्षा अधिकारियों को भी लिखकर दिया, लेकिन वे भी जर्जर भवनों को ढहाने के कोई प्रयास नहीं करते है।
संस्था प्रधानों ने सिंह से कहा कि आप अधिकारियों को निर्देश दे कि जर्जर भवनों को समय रहते गिराया जाए ताकि आपदा से उसे रोका जा सके। इस पर प्रो. सिंह इसका जवाब नहीं दे सके। उन्होंने इतना ही कहा कि हम संस्था प्रधानों की बात को आगे पहुंचाएंगे।
स्कूलों में बने आपदा टीम प्रो. सिंह ने कहा कि सभी स्कूलों में एक आपदा टीम बनानी चाहिए, ताकि अचानक आई हुई परेशानी से समय रहते निपटा जा सके। सरकार भी स्कूलों को संसाधन उपलब्ध करवाएं। आपदा में सबसे अधिक बच्चे व बुजुर्ग शिकार होते है। स्कूल के संस्था प्रधान, जिला कलक्टर, सीएम व पीएम तक आपदा नियंत्रण का उत्तरदायित्व होता है। आपदाओं से होने वाली जनहानी को रोकना व न्यूनतम करना सभी का दायित्व है।
प्रो. सिंह ने सभी स्कूलों में सूचना पट्ट पर आवश्यक आपातकालीन सेवाओं के मोबाइल अंकित करने की जरूरत बताई। अग्निशमन
यंत्र भी रखने के निर्देश दिए। बैठक को माध्यमिक उपनिदेशक रामस्वरुप मीणा, प्रारंभिक उपनिदेशक दुर्गा सुखवाल, माध्यमिक डीईओ एंजिलिका पलात, प्रारंभिक डीईओ रामू मीणा, एडीईओ नरेन्द्र गहलोत ने भी सम्बोधित किया। संचालन पुरुषोत्तम शर्मा ने किया।