गैस चैंबर बन रहा कोटा, 55 डिग्री पार कर जाएगा टेम्प्रेचर, हर दिन जहरीली गैसों के बीच कट रही जिंदगी
ऐसे में कोटा के पारे को हर रोज छह घंटे से ज्यादा वक्त तक 2.62 लाख एसी मुंह चिढ़ाएंगे तो उसके बाद भयावह होने वाले हालातों को आसानी से समझा जा सकता है। याद रहें कोटा की आबादी 12 लाख है। औसतन 6.50 लाख घरों में एसी है। सालाना जेब पर पडऩे वाला 70 अरब का फटका हमें कहां ले जाकर छोड़ेगा, यह सोच भी नहीं सकते।
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सिर्फ एक ही तोड़
जीव विज्ञानी डॉ. प्रहलाद दुबे कहते हैं कि ऑक्सीजोन की वजह से पारा और प्रदूषण तो काबू में आएगा ही शहर की खूबसूरती बढऩे के साथ ही वन्यजीवों को फलने-फूलने का मौका मिलेगा सो अलग। ऐसे में जब हम एसी चलाने की चाहतों को काबू नहीं कर सकते तो कम से कम ऑक्सीजोन की जरूरत को तो पूरा करना ही होगा।
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पारा और प्रदूषण एक साथ आए काबू में
साल 2014…छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर… प्रदूषण का स्तर 320 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर…और पारा 48 से 50 डिग्री के बीच… नतीजतन, इस शहर का शुमार देश के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में होने लगा…। दो साल की मशक्कत के बाद जब साल 2016 न्यूयार्क के सेंट्रल पार्क की तर्ज पर इस शहर में ‘ऑक्सीजोनÓ विकसित हुआ तो पूरे देश में नजीर बन गया। 10,000 से ज्यादा छायादार और फलदार पेड़…।
3000 से ज्यादा विविध प्रजातियों के फूल और करीब दर्जन भर छोटे बड़े जलाशय जब शहर के चारों ओर विकसित हुए तो प्रदूषण घटकर 120 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक आ गया और अप्रेल के महीने में कोटा का औसत तापमान जब 43.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका था तब रायपुर का पारा महज 31 डिग्री सेल्सियस पर ही थमा हुआ था। यानी करीब 13 डिग्री सेल्सियस नीचे। कोटा में राजस्थान पत्रिका के अभियान के बाद राज्य सरकार ने यहां ऑक्सीजोन बनाने का फैसला किया है।