इस दौरान जिस तिथि में पूर्वजों या परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होती है, उसी तिथि को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है।शास्त्रों में ऐसी मान्यता है पितृपक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज जिनका देहान्त हो चुका है वे सभी पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप में आते है।
पितृ पक्ष के नियम
ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि पितृ पक्ष में जिन तिथियों में पूर्वज यानी पिता, दादा, परिवार के लोगों की मृत्यु हुई होती है उस तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध का नियम है कि दोपहर के समय पितरों के नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए। देवताओं की पूजा सुबह में और पितरों की दोपहर में। पूर्वाह्णे मातृकं श्राद्धमराह्णे तु पैतृकम। एकोदि्दष्टं तु मध्याह्णे प्रातर्वृद्धि निमित्तकम्।।
शास्त्रों के नियम के अनुसार जिस दिन दोपहर के समय अधिक समय तक जो तिथि व्याप्त हो उस दिन ही उसी तिथि का श्राद्ध किया जाना चाहिए। पितृपक्ष की श्राद्ध तिथि 2019
13 सितम्बर -पूर्णिमा श्राद्ध
14 सितम्बर-प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध
15 सितम्बर-द्वितीया तिथि का श्राद्ध
17 सितम्बर-तृतीया तिथि का श्राद्ध
18 सितम्बर-चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
19 सितम्बर-पंचमी तिथि का श्राद्ध
20 सितम्बर-ख़ष्ठी तिथि का श्राद्ध
21 सितम्बर-सप्तमी तिथि का श्राद्ध
22 सितम्बर-अष्टमी तिथि का श्राद्ध
23 सितम्बर-नवमी तिथि का श्राद्ध
24 सितम्बर-दशमी तिथि का श्राद्ध
25 सितम्बर-एकादशी तथा द्वादशी तिथि का श्राद्ध। संतों तथा महात्माओं का श्राद्ध
26 सितम्बर-त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
27 सितम्बर-चतुर्थी का श्राद्ध
28 सितम्बर-अमावस्या , सर्व पितृ श्राद्ध रहेगा।