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Big News: 36 साल बाद सबसे गर्म दिनों में रमजान, 15 घंटे होगा सब्र का इम्तिहान

पमान 45 के आसपास चल रहा है। गर्म हवा का जोर है। इस स्थिति में खाली पेट घर से निकलना, पानी के बिना थोड़ी देर भी रहना, मुश्किल है।

कोटाMay 10, 2018 / 11:12 am

​Zuber Khan

Ramzan

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कोटा . तापमान 45 के आसपास चल रहा है। गर्म हवा का जोर है। इस स्थिति में खाली पेट घर से निकलना, पानी के बिना थोड़ी देर भी रहना, मुश्किल है, लेकिन भूखे रहकर गरीब की भूख को समझने का रमजान का पाक महीना इस बार सबसे गर्म दिनों में आ रहा है। एक तो गर्मी, फिर रोजा भी लंबा होगा।
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इस्लामिक कलैंडर के मुताबिक 16 मई को चांद दिखा तो रोजे 17 से शुरू हो जाएंगे। गर्मी के ये रमजान अकीदतमंदों की परीक्षा लेंगे। रमजान 17 से शुरू होते हैं तो पहला रोजा ही 14 घंटे 55 मिनट का रहेगा। दिन बढऩे के साथ सहरी से इफ्तार के बीच का समय भी बढेग़ा।
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तेज गर्मी के दौरान रोजे आने का यह संयोग 36 साल बाद बन रहा है। 1982 में मई में पूरा रमजान बीता था। इस मुबारक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग 30 दिन तक रोजे रखते हैं और इबादत करते हैं। बच्चे युवा, बुजुर्ग, महिलाएं रोजे रखते हैं। गर्मी के बावजूद अकीदतमंदों को रमजान का इंतजार है।
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रोजदारों का रखेंगे ध्यान
विज्ञान नगर स्थित नूरी जामा मस्जिद के प्रवक्ता लुकमान रिजवी बताते हैं कि शहर में रमजान की तैयारी है। तेज गर्मी को देखते हुए मस्जिदों में पंखे, कूलर और एसी का इंतजाम किया जा रहा है। वक्फ नगर स्थित मदीना मस्जिद के संयुक्त सचिव वाहिद कुरैशी बताते हैं कि नमाजियों को परेशानी न हो इसके पूरे प्रबन्ध किए हैं। कूलर व एसी व ठंडे पानी की व्यवस्था की कई है।
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10-11 दिन पीछे हो जाता है महीना
मौलाना सईद मुख्तार रज्वी बताते हैं इस्लामी या अरबी कलेण्डर चंद्रमा पर आधारित है। इसलिए इसमें अंग्रेजी कलेण्डर की तुलना में हर साल 10 या 11 दिन कम हो जाते हैं और हर महीना 10 दिन पीछे हो जाता है। पिछले साल 27 मई को रमजान का महीना शुरू हुआ था। इस बार 17 या 18 मई से शुरू होगा।
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तब बीझणियां झली, टाटियां लगाईं
पुलिस लाइन निवासी सांगोद महाविद्यालय में उर्दू के सह आचार्य डॉ. मोहम्मद नईम फलाही बताते हैं कि चाहे गर्मी हो या सर्दी या बरसात हो, अकीदतमंद रोजे पूरी शिद्दत से करते हैं। पहले तो बामुश्किल पंखे होते थे। रमजान खोलने के लिए भी फलों के साथ बाजार से रेडीमेड वस्तुओं का चलन बढऩे लगा है। शांति सद्भावना मंच के स्टेट कॉ-आर्डिनेटर अनवार हुसैन बताते हैं कि 36 साल पहले आज की तरह एसी, कूलर का चलन नहीं था। तेज गर्मी से बचने के लिए लोग अपने घरों में खस की टाटियां लगाते थे। बीझणियों (हाथ पंखों) का उपयोग होता था।
शहर काजी अनवार अहमद ने बताया कि चांद 16 मई को नजर आ गया तो रमजान 17 मई से शुरू होंगे, चांद नजर नहीं आने पर 18 मई से। 36 साल के बाद महीने का अंतर आता है। एक माह में तीन साल तक रमजान आते हैं। इसका मकसद यही है कि सर्दी गर्मी बरसात तीनों ही ऋतुओं में एक दूसरे के दर्द को समझने का अवसर मिल सके।

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